तस्करों के हौसले बुलंद, महंगे मोबाइव व गहने देकर फंसाते हैं बच्चियों को
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से सटे दक्षिण 24 परगना के बासंती ब्लॉक में रामचंद्रखाली गांव लगभग बच्चियों से हीन हो गया है। शायद ही ऐसा कोई घर हो जहां की कोई बच्ची विगत एक से दो वर्षों के अंदर लापता नहीं हुई हो। दुष्कर्म के बाद किसी का शव बरामद होता है तो कई देह व्यापार के दलदल में धकेल दी जाती है। इस गांव में बच्चियों के जन्म पर लोगों के मन में डर ऐसा फैला है कि बच्चियां अगर बोलने-बतियाने और चीजों को समझने लगती हैं तो उनकी शादी की तैयारियां शुरू हो जाती है। बदहाली का आलम ऐसा है कि गांव के लोग समूह बनाकर थाने का चक्कर लगाते हैं, विरोध-प्रदर्शन करते हैं, सारी रात थाने में बैठे रहते हैं लेकिन पुलिस के आश्वासन के अलावा और कुछ नहीं मिलता। गांव में एक के बाद एक बच्चियां गायब हो रही हैं। गांव वालों ने ऐसे कुछ शातिरों को चिह्नित किया है जो बच्चियों को बरगला कर ले जाते हैं और देह व्यापार में धकेल रहे हैं। पुलिस से सांठगांठ कर शान से सीना ठोक कर इलाके में घूमते हैं और नई बच्चियों को अपना शिकार बनाते हैं।
सोचिए बंगाल के जिस गांव में इस तरह का जंगलराज है वहां मां-बाप पर क्या गुजरती होगी। खास बात यह है कि राज्य सरकार ने राज्यभर में महिला और बाल तस्करी रोकथाम के लिए सबसे पहले दक्षिण 24 परगना में ही ‘स्वयं सिद्ध’ परियोजना शुरू की थी, जिसमें बच्चियों को जागरूक कर तस्करों के चंगुल से बचने की हिदायत दी जाती थी। हर मंच से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस योजना का बखान करते हुए दावा किया कि इससे राज्य में बाल और महिला तस्करी में काफी कमी आई है, लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है। पुलिस के आधिकारिक सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि विगत तीन के दौरान सात बच्चियां लापता हुई हैं जबकि पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है। किशोरावस्था में बच्चियों के पांव रखते ही मां-बाप के मन में डर कायम हो जाता है। बच्ची अगर 15 मिनट भी देर हुई तो बेचैनी का ऐसा आलम की पूरे मोहल्ला में छान मारते हैं, कहां गई? इसी तरह की एक किशोरी रोशन (नाम परिवर्तित) दो साल पहले मारी गई थी। नदी से उसका शव बरामद किया गया था।
क्षेत्र में बच्चियों की चोरी का आंकड़ा जिला पुलिस की वेबसाइट पर दर्ज है। बारुइपुर जिला पुलिस अधीक्षक रसीद मुनीर खान ने कहा कि क्षेत्र से तस्करी कर ले जाई गई कई बच्चियों को हम लोगों ने दिल्ली, तमिलनाडु, पंजाब, राजस्थान से बरामद किया है। वहां देह व्यापार में धकेल दिया गया था। हालांकि एक पूरे गांव में एक भी किशोरी का नहीं होना और वहां की एक भी बच्ची को ढूंढने में पुलिस की विफलता को लेकर जब उनसे सवाल पूछा गया तो वे निरुत्तर थे। महिला, बाल विकास और समाज कल्याण मंत्री शशि पांजा ने इस बारे में कहा कि राज्य सरकार प्रत्येक ब्लॉक में तस्करी विरोधी अभियान चला रही है। स्कूलों में शिक्षक भी बच्चियों को इसके बारे में जागरूक कर रहे हैं। हालांकि जब उनसे रामचंद्र खाली गांव के बारे में पूछा गया तो उन्होंने भी इस पर कुछ नहीं कहा। क्षेत्र में बाल तस्करी रोकथाम के लिए काम करने वाली संस्थाओं का कहना है कि पहले तस्कर आसानी से गिरफ्तार हो जाते थे लेकिन अब नाबालिग और किशोरियों को इस काम में लगा दिया गया है। उन्हें चिह्नित करना भी संभव नहीं है।