चीन के साथ महीनों से जारी ट्रेड वार में अमेरिका को लाखों डॉलर का नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान से बिल्कुल उलट है जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि चीन ने अमेरिका की बात नहीं मानी तो वह तबाह हो जाएगा। बहरहाल, आंकड़े फिलहाल कुछ और ही बयां कर रहे हैं। दोनों देशों द्वारा एक दूसरे के उत्पादों पर शुल्क बढ़ाए जाने के बाद जो हालात बने हैं उसमें अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग में 2-3 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। यह 51.2 फीसद से गिरकर 49.1 फीसद हो गई है। वर्ष 2016 के बाद ऐसा पहली बार देखने को मिला है। यह जानकारी इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट सर्वे में सामने आई है। इस ट्रेड वार की वजह से एक्सपोर्ट भी प्रभावित हुआ है। इतना ही नहीं सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि चीन के विकल्प के तौर पर दूसरे दशों से सप्लाई भी बड़ी चुनौती बनी है। दरअसल, ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका आयात के लिए काफी हद तक चीन पर निर्भर है।
चीन की आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट
वहीं दूसरी तरफ यदि चीन की बात करें तो उसकी आर्थिक वृद्धि दर पिछले 27 सालों में सबसे कम देखने को मिली है। ट्रेड वार के बीच चीन की मुद्रा युआन भी लगातार नीचे आ रही है। आलम ये है कि बीते 11 सालों में युआन सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। इन दो देशों के बीच जारी ट्रेड वार के चलते मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर हिचकोले खा रहा है। इस पर ही हाल ही में राष्ट्रपति ट्रंप ने एक बार फिर से कुछ अन्य वस्तुओं पर 15 फीसद शुल्क लगा दिया है। इसमें कंज्यूमर गुड्स, कपड़े, लॉनमूवर, स्विंग मशीन, फूड और ज्वैलरी शामिल हैं। इस पर चीन ने प्रतिक्रिया के तौर पर 75 बिलियन डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाया है। चीन ने यहां तक कहा है कि वह अमेरिकी दादागिरी के खिलाफ वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन में अपील करेगा।
क्या कहते हैं विश्लेषक
यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के अर्थशास्त्रि किरिल बोरुसयाक और लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के साझा विश्लेषण में यह बात सामने निकलकर आई है कि इस ट्रेड वार से अमेरिकी परिवारों को सालाना 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की चपत लगेगी। इसका अर्थ ऐसे लगाया जा सकता है कि अमेरिका के हर परिवार को इस ट्रेड वार से औसतन करीब 460 डॉलर (33 हजार रुपये) का नुकसान होगा। हालांकि विश्लेषण में यह भी कहा गया है कि यह परिवार की आर्थिक क्षमता के हिसाब से कम या ज्यादा भी हो सकती है। अमेरिकी गरीब परिवारों को इससे 970 (75000 रुपये) डॉलर का नुकसान उठाना होगा।
किसको कितना नुकसान
अर्थशास्त्रियों ने इसका अनुमान चीनी उत्पादों पर लगने वाले शुल्क को ध्यान में रखते हुए लगाया गया है। आपको बता दें कि ट्रेड वार की शुरुआत अमेरिका ने 2018 में की थी। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगा दिया था। गौरतलब है कि अगस्त तक अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले 18 लाख करोड़ रुपये के सामान पर 25 फीसद तक शुल्क लगा चुका है। जानकारों की मानें तो यह ट्रेड वार फिलहाल नजदीकी भविष्य में तो खत्म होने वाला नहीं है। अलबत्ता इसकी वजह से चीन से आने वाले हर सामान की कीमत अमेरिका में जरूर बढ़ जाएगी।