कुपोषण के खिलाफ लगातार जंग जीत रहा कोडरमा बना मिसाल,

कुपोषण से निपटने में झारखंड का कोडरमा जिला पिछले दो साल से लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। यही वजह है कि पोषण अभियान के लिए दिए जाने वाले राष्ट्रीय पुरस्कारों में दो साल से कोडरमा बाजी मार रहा है। लिहाजा, यहां किए जा रहे जमीनी प्रयास देश के हर जिले के लिए प्रेरक साबित होंगे।

पिछले साल जहां कोडरमा ने 13 में 11 पुरस्कार अपने नाम किए, वहीं इस साल 25 अगस्त को नई दिल्ली में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री के हाथों कोडरमा जिले को उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए कुल पांच अवार्ड दिए गए। इसमें कोडरमा प्रखंड की पथलडीहा पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्र की सेविका कविता यादव, सहायिका देवंती देवी, एएनएम अर्चना कुमारी, सहिया रूबी कुमारी और महिला पर्यवेक्षिका को फील्ड फंक्शनरी अवार्ड दिया गया।

मोबाइल एप से हो रही नियमित मॉनिटरिंग

जिले में 749 आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविकाओं को एप आधारित रीचार्ज के साथ एंड्रायड मोबाइल सेट दिए गए। इस एप के जरिये हर दिन का बच्चों का डाटा अपलोड किया जा रहा है। इसमें बच्चों की उपस्थिति, वचन, पोषाहर, फोटो आदि अपलोड की जाती है। सभी गतिविधियों की निगरानी विभाग से लेकर मंत्रलय तक होती है।

मातृत्व वंदना से माताएं हुई सुरक्षित

कोडरमा जिले में मातृत्व वंदना योजना का भी बेहतर परिणाम सामने आया है। गर्भवती माताओं को पोषण के लिए पांच हजार रुपये तीन किश्तों में दिए गए।

पंचायत से दूर हुआ कुपोषण

कटहाडीह पंचायत के आंगनवाड़ी केंद्र की सेविका अनीता देवी और सहिया अन्नू देवी के अथक प्रयास से कटहाडीह पंचायत से कुपोषण दूर भगाने में सफलता मिली। हाल ही में इन्हें दिल्ली में पुरस्कृत किया गया। अनीता देवी बताती हैं कि सहिया से मिलकर पूरी पंचायत में हर सप्ताह जागरूकता रैली निकाली जाती है, वहीं 15 दिनों में दरवाजा खटखटा अभियान चलाकर आसपास की गंदगी को साफ करने के लिए जागरूक किया जाता है।

जागरूकता के लिए गांव-गांव में बनाई टीम

जिले को लगातार पुरस्कार मिलने पर कोडरमा के समाज कल्याण पदाधिकारी सफीक आलम ने कहा कि सभी आंगनबाड़ी केंद्रों की नियमित मॉनिटरिग के साथ-साथ कई एक्टिविटी कराई जा रही हैं। गांवों में किशोरियों व महिलाओं को जागरूक कर टीम बनाई गई है। इससे काफी सफलता मिल रही है।

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