लखनऊ : घरेलू बिजली उपभोक्ताओं का जोर का झटका लगा है। उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें तकरीबन 12 फीसदी तक महंगी हो गईं हैं। इससे सभी श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा। घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली दरें अधिकतम 60 पैसे प्रति यूनिट तक बढ़ाई गई हैं। किसानों की भी बिजली 15 फीसदी महंगी हो गई है जबकि औद्यौगिक उपभोक्ताओं की दरें घरेलू उपभोक्ता की तुलना से कहीं कम बढ़ाई गई हैं। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने मंगलवार शाम को अचानक नई बिजली दरें जारी कर दीं। दो वर्षों बाद फिर से बिजली उपभोक्ताओं पर महंगी दरों का बोझ डाल दिया गया। आखिरीबार बिजली दरें वर्ष 2017 में बढ़ाई गई थीं।
प्रति यूनिट 60 पैसे दर बढ़ी
नियामक आयोग की ओर से जारी नई बिजली दरों में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए आठ से 12 फीसदी की बढ़ोत्तरी की गई है। प्रति यूनिट 60 पैसा तक रेट बढ़ गए हैं। दो किलोवाट के एक उपभोक्ता, जो प्रतिमाह 200 यूनिट तक उपयोग कर रहे हैं उन्हें अब प्रतिमाह 101 रुपये ज्यादा खर्च करने होंगे। किसानों पर भी बिजली दरों का बोझ बढ़ गया है। ग्रामीण कृषि श्रेणी के उपभोक्ताओं को पहले से 15 फीसदी अधिक बिजली बिल देना पड़ेगा। अब इन्हें 50 रुपये फिक्स चार्ज और तीन रुपये प्रति यूनिट (100 यूनिट तक) लगेगा जो अभी तक नहीं लगता था।
अनमीटर्ड उपभोक्ताओं की दरें 100 रुपये प्रतिमाह बढ़ीं
इसी तरह अनमीटर्ड उपभोक्ताओं की दरें भी 400 रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर 500 रुपये प्रतिमाह कर दी गई हैं। वहीं औद्योगिक उपभोक्ताओं में पांच से 10 फीसदी दाम बढ़ाए गए हैं। इन्हें अब प्रति यूनिट 30 पैसे अधिक देने होंगे। उद्योगों को गर्मियों में सुबह और सर्दियों के मौसम में रात में बिजली उपयोग करने पर 15 फीसदी तक छूट मिलेगी। हालांकि प्रीपेड मीटर वालों को सहूलियत दी गई है। उन्हें अब टैरिफ पर दो फीसदी तक की छूट मिल सकेगी। अभी यह 1.25 फीसदी थी। आयोग ने 94 हजार से अधिक बिजली कर्मचारियों और पेंशनरों को भी अब घरेलू श्रेणी के उपभोक्ताओं में रख दिया है। इन्हें इसी श्रेणी के अनुसार बिल देना होगा। हालांकि बिजली कंपनियां रियायत दे सकती हैं। भवन निर्माण-शादी विवाह आदि के लिए अस्थायी कनेक्शन लेना अब पहले से 500 से 700 रुपये तक महंगा हो गया। प्रति यूनिट बिजली दरें 50 पैसे तक बढ़ गई हैं। पब्लिक चार्जिंग स्टेशनों की टैरिफ दरों में बढ़ोत्तरी नहीं की गई है। यह पहले की तरह 7.70 रुपये प्रति यूनिट ही लागू रहेगी। नगर निकायों-पंचायतों के ट्यूबबेल आदि की दरें भी बढ़ा दी गई हैं।
लागत बढ़ने के कारण बढ़ाई गईं दरें
नियामक आयोग ने कहा कि बिजली कंपनियों के व्यय और लागत में बढ़ोत्तरी हुई है और राजस्व में कमी आई है। वितरण कंपनियों ने राजस्व में अंतर 8337 करोड़ रुपये का दिखाया था लेकिन आयोग ने इसे मात्र 3593 करोड़ रुपये ही माना है। इसी आधार पर टैरिफ का आंकलन किया गया है। नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं को 4.9 फीसदी रेगुलेटरी सरचार्ज से छुटकारा देते हुए इसको पूरी तरह खत्म कर दिया है। आयोग ने मार्च 2020 तक 31.14 लाख अनमीटर्ड बिजली उपभोक्ताओं में से नौ लाख के यहां मीटर लगाने के निर्देश दिए हैं। बाकी बचे अनमीटर्ड के यहां भी वित्तीय वर्ष 2020-21 तक मीटर लगाना अनिवार्य कर दिया है।