यूपी के हर जिले में परंपरागत उद्योगों की संपन्न परंपरा
लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा देश की अर्थव्यवस्था को पांच ट्रिलियन डॉलर करने की है। इसमें सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका एमएसएमई (लघु, कुटीर एवं मध्यम उपक्रम) की होगी। सर्वाधिक मानव संसाधन के नाते देश और उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था एक दूसरे की पूरक हैं। सही मायनों में उत्तर प्रदेश देश की अर्थव्यवस्था का और एमएसएमई यूपी की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन है। गुरुवार को यहां गोमतीनगर स्थित एक होटल में एमएसएमई सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने कहा कि एमएसएमई की कई खूबियां हैं। मसलन इस क्षेत्र में न्यूानतम पूंजी में स्थानीय स्तर पर अधिकतम रोजगार का सृजन होता है। सरकार का भार कम होने और कम निवेश के नाते इनको लोन देने वाले बैंकों का जोखिम भी कम होता है।
उत्तर प्रदेश में इसकी संपन्न परंपरा रही है। प्रोत्साहन न मिलने और बाजार के अनुसार बदलाव न आने से क्रमश: यह परंपरा दम तोड़ने लगी। मेरी सरकार ने पिछले साल पहले उत्तर प्रदेश दिवस पर इसी सेक्टर के हित के लिए एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) की घोषणा की। इनसे जुड़े हुनरमंदों को प्रशिक्षण देने के साथ सरकार की विभिन्न योजनाओं के जरिये उनको लोन उपलब्ध करवाया। इससे ढाई साल में करीब 14 लाख युवाओं को रोजगार मिला। इसी क्षेत्र के बूते निर्यात में प्रदेश आज नंबर एक पर है। अब भी इस क्षेत्र में ढेरों संभावनाएं हैं। मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र के उद्यमियों से प्रस्तावित डिफेंस कॉरीडोर क्षेत्र में निवेश की भी अपील की।
एमएसएमई के केंद्रीय राज्ये मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी ने कहा कि कृषि के बाद रोजगार देने वाला यह सबसे बड़ा क्षेत्र है। इसके विकास में सबसे बड़े बाधक बैंकर्स हैं, जिनसे अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पाता है। सरकार वित्त मंत्रालय से मिलकर इसका स्थाई हल खोज रही है। एक बार यह तय हो जाने पर पात्रता रखने वाले इस क्षेत्र के उद्यमी को लोन न देने वाले बैंक की जवाबदेही तय की जाएगी। अतिथियों का स्वागत एसोचैम के उपाध्यक्ष विनीत अग्रवाल ने किया। विभागीय मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने आभार जताया। कार्यक्रम में विभागीय प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के अलावा ज्योति प्रकाश गडिया, ललित खेतान और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।