सुप्रीम कोर्ट में जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति का दावा, कहा इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं
नई दिल्ली : श्रीराम जन्मभूमि के स्वामित्व विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को 14वें दिन सुनवाई हुई। अखिल भारतीय श्रीराम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने लगातार दूसरे दिन अपना पक्ष रखा। समिति की ओर से पेश वकील पीएन मिश्रा ने कहा कि विवादित इमारत बाबर ने बनवाई, इसका कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं है। उन्होंने बाबरनामा, आइना-ए-अकबरी, हुमायूंनामा, तुजुक-ए-जहांगीरी समेत कई ऐतिहासिक पुस्तकों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि मीर बाकी नाम का बाबर का कोई सेनापति नहीं था। तीन गुंबद वाली वो इमारत मस्ज़िद नहीं थी। मस्ज़िद में जिस तरह की चीज़ें ज़रूरी होती हैं, वे उसमें नहीं थीं।
वकील मिश्रा ने सुनवाई की शुरुआत में बाबरनामा के कुछ अंश पढ़े और कहा कि कोई भी ऐतिहासिक दस्तावेज़ ऐसा नहीं है जो यह बताता हो कि विवादित ढांचा 520 ईस्वी में बनी हो। बाबरनामा में मीर बाकी के बारे में ज़िक्र नहीं है। मिश्रा ने तीन पुस्तकों का उल्लेख करते हुए कहा कि आइना-ए-अकबरी और हुमायूंनामा में बाबर द्वारा बाबरी मस्जिद बनने की बात नहीं कही गई है। तुजुक-ए-जहांगीरी पुस्तक में भी बाबरी मस्जिद के बारे में कोई जिक्र नहीं है। मंदिर बाबर ने नहीं औरंगजेब ने तोड़ा था।
उल्लेखनीय है कि श्रीराम जन्मभूमि मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ रोजाना कर रही है। पीठ के चार अन्य सदस्यों में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एसए नजीर शामिल हैं। जस्टिस बोबडे ने समिति के वकील मिश्रा से पूछा, आपसे इसका क्या लेना-देना है? जन्मस्थान पर आपका हक कैसे है, यह स्पष्ट करें। मिश्रा ने कहा कि मेरा दावा है कि औरंगजेब ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनायी थी। अगर कोर्ट इस दावे को स्वीकार करता है तो सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का दावा पूरी तरह से गलत साबित होता है।