लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद समाजवादी पार्टी (सपा) खुद को नए कलेवर में तैयार कर संगठन को विस्तार देने की तैयारी में है. इसके लिए यह युवा कार्यकर्ताओं की भागीदारी बढ़ाने के अलावा पिछड़ों और दलितों पर भी फोकस करना चाह रही है.
सपा मुखिया अखिलेश यादव उपचुनाव में उतरने से पहले अपनी पार्टी को सोशल इंजीनियरिंग के हिसाब से मजबूत कर मैदान में लाने के प्रयास में हैं, क्योंकि इस बार उन्हें कई मोर्चो पर संघर्ष करना पड़ेगा.
अखिलेश यादव द्वारा विधानसभा स्तर तक की कमेटियां भंग किए जाने के अलावा फ्रंटल संगठनों को नए सिरे से गठित करने की तैयारी की जा रही है, क्योंकि इस बार उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी अलग से मैदान में रहने वाली है और यह चुनाव सपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण भी है.