लखनऊ : अर्थव्यवस्था डूब रही है और हर मामले में गरीब भारतीयों की सामान्य गुजर-बसर मुश्किल हुई है नेता प्रतिपक्ष विधानसभा ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की वृद्धि दर कम रहने को लेकर सरकार पर निशाना साधा है।
नेताप्रतिपक्ष विधानसभा रामगोविंद चौधरी ने देश की अर्थव्यवस्था को बदहाल बताते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर सिर्फ प्रचार और वीडियो जारी करने का तमाशा करने का आरोप लगाया है। सपा नेता व नेता प्रतिपक्ष विधानसभा रामगोविंद चौधरी ने विभिन्न आर्थिक मोर्चों पर सरकार के निराशाजनक प्रदर्शन का हवाला देते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था डूब रही है और हर मामले में गरीब भारतीयों की सामान्य गुजर-बसर मुश्किल हुई है।
उन्होंने मोदी सरकार के कार्यकाल में निर्यात की गिरावट और वित्तीय वर्ष 2012-13 के बाद वित्तीय घाटा अब तक सर्वाधिक हुआ है। मोदी सरकार पर अर्थव्यवस्था को गर्त में पहुंचाने का आरोप लगाया।
रामगोविंद चौधरी ने कहा, ‘सरकार के पास वीडियो जारी करने और प्रचार का तमाशा करने का समय है। अर्थव्यवस्था डूब रही है, जिससे गरीब भारतीयों की गुजर बसर बुरी तरह प्रभावित हुई है। मोदी सरकार के चार साल में अच्छे दिनों की यह एक और तस्वीर है’।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और रुपये की कीमत में लगातार गिरावट पर नेता प्रतिपक्ष विधानसभा ने चिंता जाहिर करते हुए इसके लिये मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेशकों के भारत से वापस जाने से 48 हजार करोड़ रुपये के निवेश में गिरावट के कारण प्रत्यक्ष विदेश निवेश का स्तर पिछले पांच में सबसे कम रहा।
उन्होंने कहा, ‘रुपये की कीमत गिर रही है, स्विस बैंकों में भारतीय पूंजी बढ़ रही है, जनता संकट में है। यह सरकार द्वारा जनित आपदा है. मोदी सरकार की ‘जुमलानोमिक्स’ में अधिक से अधिक वीडियो जारी करना ही समस्या का एकमात्र समाधान है।
रामगोविंद चौधरी ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की वृद्धि दर पिछले पांच वर्षों में सबसे कम रहने को लेकर मंगलवार को सरकार पर निशाना साधा और सवाल किया कि बुनियादी ढांचे का विकास और प्रगति सुनिश्चित करने तथा मंहगाई पर अंकुश लगाने के लिए धन कहां से आएगा।
सपा के वरिष्ठ नेता व नेता प्रतिपक्ष विधानसभा ने कहा कि भारत में एफडीआई पिछले पांच वर्षों में सबसे कम है. जनवरी, 2018 के बाद से विदेशी संस्थागत निवेश (एफआईआई) की निकासी 48,000 करोड़ रुपये रही.
उन्होंने कहा ‘2018-19 में व्यापार घाटा बढ़कर जीडीपी का 6.4 फीसदी यानी 178 अरब डॉलर हो हो सकता है।
नेताप्रतिपक्ष नेता ने कहा, ‘बुनियादी ढांचे के विकास, प्रगति सुनिश्चित करने, भुगतानों के संतुलन को बनाए रखने और मंहगाई पर अंकुश लगाने के लिए धन कहां है ।