रंग लाई मुख्यमंत्री योगी की कोशिश
लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा है कि जानलेवा बीमारी जापानी इंसेफलाइटिस को लेकर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। प्रत्येक सालों की तुलना में इस वर्ष जापानी इंसेफलाइटिस का प्रकोप काफी कम हुआ है और जो बच्चे इस बीमारी का शिकार हुए हैं, उनमें से ज्यादातर को त्वरित इलाज के जरिए बचा लिया गया। पिछले चार दशकों से इस बीमारी के चलते होती आ रही दुखद मौतों के आंकड़ों पर सरकार ने काफी हद तक नियंत्रण पाया है और अब पूर्वी उत्तर प्रदेश तेजी से इंसेफलाइटिस के उन्मूलन की तरफ कदम बढा रहा हैं। शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ ने जिन परिस्थितियों में राज्य की कमान संभाली थी, तब इस जानलेवा बीमारी को लेकर पिछली सरकारों की तरफ से कोई विशेष प्रयास नहीं गए थे। हर साल ये बीमारी आती थी और तमाम बच्चों की जान लेकर जाती थी।
बावजूद इसके राज्य सरकारों ने कभी इसे गंभीरता से नहीं लिया। ऐसे में इस बीमारी से प्रभावित परिवारों और इस इलाके की समस्याओं को लेकर निरंतर संघर्ष करते रहे योगी आदित्यनाथ जी ने मुख्यमंत्री के तौर पर इंसेफलाइटिस के उन्मूलन का बीड़ा उठाया। मुख्यमंत्री ने खुद इंसेफलाइटिस प्रभावित इलाकों में जाकर बैठकें लीं। कमिश्नर और जिलाधिकारियों को इस बीमारी के लिए जवाबदेह बनाया। अभियान चलाकर प्रभावित जिलों में अस्पतालों को बेहतर कराने के साथ ही साथ सफाई की मुहिम चलाई। साथ ही साथ खुद ही इसकी मानिटरिंग भी करते रहे। नतीजा सामने है। पिछले कई सालों की तुलना में इस वर्ष आए आंकड़े अपने आप में गवाही दे रहे हैं कि इस बीमारी और बीमारी से होने वाली मौतों पर काफी हद तक नियंत्रण हुआ है। शलभ मणि त्रिपाठी ने कहा कि अभी तक इस बीमारी को लेकर यूपी सरकार की कोई नीति नहीं थी। योगी आदित्यनाथ की सरकार में इंसेफलाइटिस को लेकर पहली बार स्पष्ट नीति तैयार की गई। इसके तहत साढे तीन लाख लोगों को खास ट्रेनिंग देकर इंसेफलाइटिस प्रभावित इलाको में तैनातियां दी गईं।
जिन लोगों को ट्रेनिंग दी गई, उनमें एसीएमओ, एएनएम, आशा बहुएं, ग्राम प्रधान, शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, बीएसए, एबीएसए, सीडीपीओ, एंबुलेंस स्टाफ, स्वास्थ्यकर्मी और वालंटियर्स शामिल थे। प्रशिक्षण के तहत ये बताया गया कि इंसेफलाइटिस के लक्षण क्या है और ऐसे लक्षण दिखते ही प्रभावी रोकथाम के लिए क्या प्रयास करने हैं। यही नहीं दस्तक अभियान चलाकर संचारी रोक नियंत्रण पखवारा भी चलाया गया। जिसके तहत साफ सफाई व टीकाकरण पर विशेष जोर दिया गया। गांव गांव में पहुंचकर बच्चों का टीकाकरण किया गया। ग्राणीण इलाकों में बनी पीएचसी और सीएचसी को अपग्रेड करने के अलावा जिला अस्पतालो को मेडिकल कालेज के तौर पर अपग्रेड करने के साथ ही यहां इंसेफलाइटिस को लेकर अलग वार्ड बनाए गए। साथ ही बीमारी की फौरन पहचान के लिए बड़ी संख्या में लैब स्थापित की गईं। ये प्रयास कामयाब हुए हें और जानलेवा बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण कर पाने में सफलता मिली है।