बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र का दिल्ली में निधन हो गया है। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका दिल्ली में ही इलाज चल रहा था। वे तीन बार बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके थे। उनके निधन की खबर से पूरे बिहार में शोक की लहर व्याप्त है।
सीएम नीतीश ने जताया दुख, बिहार में तीन दिन का राजकीय शोक
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र के निधन पर गहरा शोक जताया है। उनके साथ ही बिहार के विभिन्न दलों के नेताओं ने भी डॉक्टर मिश्र के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की है। सबने कहा है कि दिवंगत नेता के इस तरह चले जाने से बिहार की राजनीति को गहरा आघात लगा है। बिहार में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है।
पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र के निधन पर नेताओं ने जतायी संवेदना
बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्र के निधन पर विधानसभा अध्यक्ष विजय चौधरी, मंत्री नीरज कुमार, बेनीपुर विधायक सुनील चौधरी, मंत्री अशोक चौधरी, कांग्रेस विधायक अशोक राम, जदयू नेता रंजीत झा ने भी शोक जताया। इसके अलावे पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉक्टर रघुवंश प्रसाद सिंह, जदयू सांसद डॉ. आलोक कुमार सुमन, एमएलसी आदित्य नारायण पाण्डेय ने भी पूर्व सीएम के निधन पर शोक जताया।
बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके थे डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र
डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र भारतीय राजनेता और बिहार के तीन पार मुख्यमंत्री रह चुके थे। उन्होंने कॉलेज के प्रोफेसर के रूप में अपना करियर शुरू किया था और बाद में बिहार विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने थे। बचपन से ही उनकी रुचि राजनीति में थी, क्योंकि उनके बड़े भाई, ललित नारायण मिश्र राजनीति में थे और देश के रेल मंत्री थे।
डॉक्टर जगन्नाथ मिश्र विश्वविद्याल में पढ़ाने के दौरान ही भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए थे और बाद में 1975 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। दूसरी बार उन्हें 1980 में कमान सौंपी गई और आखिरी बार 1989 से 1990 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। वे 90 के दशक के बीच केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री भी रहे।
बिहार में डॉक्टर मिश्र का नाम बड़े नेताओं के तौर पर जाना जाता है । कांग्रेस छोड़ने के बाद, वह राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और फिर जनता दल (यूनाइटेड) में भी शामिल हुए।
30 सितंबर 2013 को रांची में एक विशेष केंद्रीय जांच ब्यूरो ने चारा घोटाला मामले में 44 अन्य लोगों के साथ उन्हें भी दोषी ठहराया। उन्हें चार साल की कारावास और 200,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था। बाद में उन्हें जमानत पर बरी कर दिया गया था।