जयललिता के मौत के मामले में एक बार फिर से विवाद और संशय शुरू हो गया है. असल में इस मौत की जांच कर रहे आयोग के समक्ष अपोलो अस्पताल की एक टेक्निशियन ने कार्डिएक अरेस्ट का जो समय बताया है, वह अस्पताल द्वारा दी गई जानकारी से अलग है.
इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, अपोलो की एक टेक्निशियन नलिनी ने जस्टिस ए. अरुमुगासामी आयोग के समक्ष अपने बयान में बताया है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता का इकोकार्डियोग्राम टेस्ट 4 दिसंबर, 2016 को अपराह्न 3.50 बजे किया गया.
इसका मतलब है कि इसके पहले ही जयललिता को कार्डिएक अरेस्ट आया होगा और उनकी तबीयत बिगड़ी होगी. लेकिन अपोलो अस्पताल का हेल्थ रिकॉर्ड कहता है कि जयललिता को 4 दिसंबर, 2016 को अपराह्न 4.20 बजे गंभीर कार्डिएक अरेस्ट आया. जयललिता की सहेली वीके शशिकला ने भी आयोग के समक्ष अस्पताल वाला समय ही बताया है.
लेकिन टेक्निशियन नलिनी ने बताया है कि जब वह अपने ऑपरेट्स के साथ जयललिता के कमरे में पहुंची तो वहां पहले से ही डॉक्टर जयललिता को बचाने के लिए हॉर्ट मसाज जैसे उपाय कर रहे थे.
नलिनी ने कहा, ‘इमरजेंसी कॉल की वजह से हम सिर्फ ईसीजी की लीड और मॉनिटर लेकर दौड़ पड़े. मुझे अब भी याद है कि मॉनिटर पर ईसीजी जांच का समय 3.50 PM दिख रहा था.’
नलिनी ने जो समय बताया है, वह अपोलो हॉस्पिटल डायबेटोलॉजिस्ट जयश्री गोपाल की रिपोर्ट से अलग है. जयश्री ने बताया है कि उनके पास 4.00 PM पर फोन आया जिसके बाद वह और उनके पति डॉक्टर बाबू के. अब्राहम और उनके पति अस्पताल की ओर तेजी से चल पड़े.’
अपोलो अस्पताल द्वारा दर्ज केस शीट के मुताबिक जयललिता को 4.20 PM पर कार्डिएक अरेस्ट आया. इसके बाद डॉक्टरों ने तत्काल ईसीजी और कार्डियोपुलमनरी रिससिटैशन (CPR) किया. इसके बाद सर्जिकल रिससिटैशन और एक्स्ट्राकॉरपोरियल मेम्ब्रेन ऑक्सिजेनेशन (ECMO) किया गया और इसके सहारे जयललिता अगले एक दिन यानी 5 दिसंबर, 2016 तक जिंदा रहीं.