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उसके बाद से लेकर बंगाल की धरती से यह मांग सबसे अधिक तेज रही है कि जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाया जाना चाहिए। अब जबकि केंद्र सरकार ने इसे हटा दिया है तब पश्चिम बंगाल में इस पर सबसे अधिक चर्चा हो रही है। इसके साइड इफेक्ट को समझते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मौखिक तौर पर इसका विरोध तो जरूर किया लेकिन क्रियात्मक तौर पर इसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया। राज्यसभा और लोकसभा में तृणमूल के सांसदों ने इसके खिलाफ बातें जरूर कहीं लेकिन जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल के खिलाफ मतदान नहीं किया। ममता ने भी इस पर बहुत अधिक नहीं बोला है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जम्मू एवं कश्मीर के अनुच्छेद-370 का खात्मा भाजपा के लिए बंगाल फतह लक्ष्य पूरा करने का रामबाण साबित होगा।