कोलकाता : पश्चिम बंगाल को भारत के साथ जोड़े रखने वाले अमर बलिदानी श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जिस कश्मीर में जाकर शहादत दी थी, वहां से आखिरकार भाजपा की सरकार ने अनुच्छेद-370 को हटा दिया है। जनसंघ के जमाने से ही भाजपा का बुलंद नारा रहा है- जहां हुए बलिदान मुखर्जी वो कश्मीर हमारा है, वह कश्मीर हमारा है, सारा का सारा है। अब जबकि कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटा दिया गया है तो पूरे देश के साथ-साथ अगर इसका सबसे ज्यादा असर कहीं है तो वह है पश्चिम बंगाल। कश्मीर में दो विधान, दो प्रधान के फैसले का विरोध करते हुए ही श्यामा प्रसाद मुखर्जी वहां बिना परमिट गए थे और संदिग्ध हालात में उनकी मौत हो गई थी। आज तक उनकी मौत की वजह सामने नहीं आ सकी।
उसके बाद से लेकर बंगाल की धरती से यह मांग सबसे अधिक तेज रही है कि जम्मू एवं कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाया जाना चाहिए। अब जबकि केंद्र सरकार ने इसे हटा दिया है तब पश्चिम बंगाल में इस पर सबसे अधिक चर्चा हो रही है। इसके साइड इफेक्ट को समझते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मौखिक तौर पर इसका विरोध तो जरूर किया लेकिन क्रियात्मक तौर पर इसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया। राज्यसभा और लोकसभा में तृणमूल के सांसदों ने इसके खिलाफ बातें जरूर कहीं लेकिन जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल के खिलाफ मतदान नहीं किया। ममता ने भी इस पर बहुत अधिक नहीं बोला है। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जम्मू एवं कश्मीर के अनुच्छेद-370 का खात्मा भाजपा के लिए बंगाल फतह लक्ष्य पूरा करने का रामबाण साबित होगा।