मोदी सरकार का बड़ा कदम, राज्यसभा ने विधेयक को दी मंजूरी
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के भारत में पूर्ण एकीकरण का इतिहास रचते हुए नरेन्द्र मोदी सरकार ने राज्य में अलगाव का कारण बने अनुच्छेद 370 को हटाने संबंधी ऐतिहासिक संकल्प और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों के रूप में विभाजित करने संबंधित विधेयक को राज्यसभा में पेश किया, जिसे मतविभाजन के बाद मंजूर कर लिया गया। इसके अलावा जम्मू कश्मीर में सीमा पर रहने वाले लोगों को आरक्षण देने संबंधित विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया। इस ऐतिहासिक क्षण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सदन में मौजूद रहे। विधेयक पारित होने के बाद लद्दाख बिना विधानसभा वाला चण्डीढ़ जैसा केन्द्र शासित क्षेत्र होगा, जबकि जम्मू कश्मीर में दिल्ली और पुडुचेरी जैसी विधानसभा होगी।
राज्यसभा में सत्ता पक्ष का बहुमत नहीं होने के बावजूद संकल्प और विधेयक 61 के मुकाबले 125 मतों से पारित हो गया। मत विभाजन के पहले तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों ने सदन का बहिर्गमन किया, जबकि कई विपक्षी दलों जैसे बहुजन समाज पार्टी, बीजू जनता दल, अन्नाद्रमुक, वाईएसआर कांग्रेस, तेलुगु देशम पार्टी और आम आदमी पार्टी ने संकल्पों और विधेयक का समर्थन किया। गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को विधेयक को लेकर कहा कि अनुच्छेद 370 जम्मू कश्मीर के विकास में सबसे बड़ी बाधा रहा है, उसके खात्मे के बाद राज्य में आतंकवाद एवं खून-खराबे का भयावह दौर खत्म हो जाएगा। साथ ही राज्य के कायाकल्प के नए युग की शुरुआत होगी।
गृहमंत्री ने जम्मू कश्मीर के लिए एक ऐसे सुनाहरे भविष्य का खाचा खींचा जिसमें बच्चे बिना किसी भय के स्कूल जायेंगे, बीमारों को चिकित्सा सुविधा मिलेगी, युवाओं को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य ने सात दशकों तक अनुच्छेद 370 के तहत चले शासन-प्रशासन का दौर देखा है। इसमें लोगों को बदहाली और आंतकवाद की हिंसा का सामना करना पड़ा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एक नया प्रयोग कर रही है, जिसके लिए हमें केवल पांच साल का समय चाहिए। इसी छोटी अवधि में जम्मू कश्मीर का कायाकल्प हो जाएगा और वह देश की विकास यात्रा में शामिल होगा।
कश्मीर को भारत का ‘मुकुट मणि’ बताते हुए शाह ने कहा कि कश्मीर था, कश्मीर है और कश्मीर स्वर्ग रहेगा। उन्होंने कांग्रेस सदस्यों के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद राज्य के हालात और बिगड़ेंगे तथा नई समस्यायें पैदा होंगी। उन्होंने पूछा कि कांग्रेस को इस बात का जवाब देना चाहिए कि पिछले सात दशकों में अनुच्छेद 370 के अधीन रहते हुए राज्य के हालात क्यों बिगड़ते चले गए। वर्ष 1989 से लेकर अबतक 41849 लोग मारे गए। इस संवैधानिक प्रावधान के कारण राज्य में अलगावभाव की भावना पैदा हुई, जिसका फायदा पाकिस्तान के हुकमरानों ने उठाया। पाकिस्तान में राज्य में आतंकवाद को शह दी और राज्य के आम आदमी को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी।