ग्रामीण क्षेत्रों में रोशन की विज्ञान की लौ
लखनऊ : एनबीआरआई के आउटरीच प्रोग्राम ऑफिसर डॉ मृदुल शुक्ला को भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में विज्ञान प्रचार संचार तथा आउटरिच कार्यक्रम के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भोजपुरी गौरव अवॉर्ड दिया गया है. शनिवार को विश्वयेश्रैया सभागार,राजभवन लखनऊ में भोजपुरी महोत्सव समारोह में ये अवार्ड दिए गए. समारोह के मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री प्रोफेसर दिनेश शर्मा, विशिष्ट अतिथिगण यूपी सरकार के मंत्रियों आशुतोष टंडन, बृजेश पाठक, अनुपमा जायसवाल, पूर्व लीगल एडवाइजर तथा जज चद्र भूसन पांडेय, अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभु नाथ राय,महासचिव मनोज सिंह, संजय सिंह व कई गणमान्य उपस्थित थे. कई शोधो पर राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके डॉ मृदुल शुक्ल अपने अनूठे प्रयास मे लगे हुए है और गॉवं-गॉवं जाकर साइंस को सरल हिंदी भाषा में समझाते है और ग्रामीणों को शिक्षित कर रहे है, उनके अभियान में देश-विदेश के कई साइंटिस्ट भी जुड़ चुके है.
आउटरिच कार्यक्रम में किया उत्कृष्ट प्रदर्शन
इससे पहले डॉ शुक्ल को यूपी, प्रगति रत्न पुरस्कार, गोविन्द वर्मा स्मृति वैज्ञानिक पुरस्कार, उत्तर प्रदेश संस्कृतिक पुरस्कार, साइंटिस्ट ऑफ़ द ईयर अवार्ड, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, डीयसटी भारत सरकार द्वारा विज्ञान समरसता पुरस्कार, लैब तू लैंड अवार्ड (LAB TO LAND ) , श्रेष्ठा गुरुजन अवार्ड, विज्ञान शिरोमणि अवार्ड , एनबीआरआई द्वारा बेस्ट रिसर्च पेपर अवार्ड इत्यादि पुरस्कार प्राप्त हो चुके है. डॉ मृदुल शुक्ल ने विलेज अडॉप्टेशन में बहुत महत्वपूर्ण काम किया है. इनके सफल प्रयास से कई ग्रामीण महिलाओ ने विभिन्न विज्ञान परक कार्यक्रम के द्वारा अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की है. डॉ शुक्ल की पुस्तक पेड़ पौधों द्वारा गंगा नदी प्रदूषण का प्रबंधन काफी लोकप्रिय है .
छुट्टी के दिनों में देते है लेक्चर, करते हैं जागरूक
मृदुल शुक्ल जब अपने घर खखाइजखोर (गोरखपुर) जाते थे. वहां का पिछड़ापन देखकर उनका मन रो देता था जबकि देश के ग्रामीण इलाकों में वैज्ञानिकों की अच्छी तादाद मौजूद है. फिर भी इलाका बाढ़, बीमारी वेरोजगारी से बेहाल है. गांवों में विज्ञान का माहौल करने की ठानी और आज उनके साथ हज़ारो वैज्ञानिको का काफिला है. उन ग्राम की समस्याओ को समझकर वैज्ञानिको को लेकर गावो में जाते है तथा विज्ञान के किन्ही विषयो को लेकर व्यख्यान भी आयोजित करवाते है. अपने निदेशकों से परमिशन लेकर छुट्टी के दिनों शनिवार और रविवार को गावो मे विज्ञान जागरूकता कार्यक्रम करते है तथा ग्रामीणों की जिज्ञासा का समाधान भी करते है. ये कई स्वयंसेवी संगठनों के माध्यम से वैज्ञानिको को गॉवं गॉवं ले जाते है. डॉ शुक्ल एनबीआरआई, लखनऊ में अधिकारी रहते हुये भी छुट्टी के दिनों में किसी गांव या स्कूल कॉलेज में लेक्चर देते है या प्रोग्राम के माध्यम से लोगो को जागरूक करते है. विगत 20-25 वर्षों में वनस्पति, बायोटेक्नोलॉजी, पर्यावरण, आउटरीच लेकर विज्ञान जागरूकता का हज़ारो कार्यक्रम डॉ मृदुल शुक्ल द्वारा करवाया जा चूका है. इनके कार्य को सीएसआईआर की पत्रिका विज्ञान प्रगति भी प्रकाशित कर चुकी है. डॉ शुक्ल वैज्ञानिकों तथा अपने परिवार की मदद से साइंस कांफ्रेंस को निहायत ही ग्रामीण इलाकों मे मे आयोजित करते है तथा ग्रामीणों की वैज्ञानिक जिज्ञासा का समाधान करते है उनके द्वारा किये शोध कई अंतराष्ट्रीय जनरल मे प्रकाशित हो चुके है.
पहले भी कई अवार्ड से हो चुके हैं सम्मानित
विज्ञान भारती अवध प्रांत के भी सचिव डॉ मृदुल कुमार शुक्ल को लखीमपुरी के गोला गोकर्ण नाथ मे अटल बिहारी वाजपई वैज्ञानिक आउटरीच उत्कृष्ट पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें ये पुरस्कार देश के ग्रामीणों मे वैज्ञानिक दृटिकोण उत्पन्न करने के प्रसंसनीय योगदान के लिए दिया गया है. डॉ शुक्ल अपने छात्र जीवन से ही कुशाग्र बुद्धि के धनी है. अवध विश्वविद्यालय के अंतर्गत साकेत कॉलेज, अयोध्या के अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से छात्र संघ का महामंत्री चुनाव भी जीत चुके है . उत्तर प्रदेश को कश्मीर नहीं बनने देंगे नामक आंदोलन का सफल नेतृतव भी आपने किया है. विज्ञान भारती के अवध प्रान्त के सचिव है तथा विज्ञान भारती एसोसिएशन ऑफ़ एनजीओ इंडिया (विभा वाणी ) के उत्तर प्रदेश के चीफ कोऑर्डिनेटर भी है. विज्ञान जाग्रति संस्थान गोरखपुर, विज्ञान जागरूकता समिति, दुर्गा कला केंद्र लखनऊ तथा अखिल भारतीय विज्ञान दल तथा विज्ञान के फील्ड में काम करने वाले एनजीओ से अपने संस्थान के निदेशक से परमिशन लेकर विज्ञान के प्रतिभाशाली छात्रों को फेलोशिप भी दिलाते है