जनता के हितों की रक्षा करना जनप्रतिनिधि की पहली जिम्मेदारी : प्रणब मुखर्जी

विधायकों के लिए आयोजित सेमिनार में बोले पूर्व राष्ट्रपति

जयपुर : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि देश की संसदीय व्यवस्था हम सभी के सतत संघर्ष का प्रतिफल है। यह व्यवस्था न तो हमें सहजता से मिली है और ना ही ब्रिटिश सरकार से उपहार में मिली है। मुखर्जी गुरुवार को राजस्थान विधानसभा में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (राजस्थान शाखा) एवं लोकनीति- सीएसडीएस के संयुक्त तत्वावधान में विधायकों के लिए आयोजित एक दिवसीय सेमिनार ‘चेंजिग नेचर ऑफ पार्लियामेंट डेमोक्रेसी इन इंडिया’ में उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि जनता द्वारा निर्वाचित होते हैं इसलिए उनकी सबसे पहली जिम्मदारी जनता के हितों की रक्षा करना है। मुखर्जी ने भारतीय संविधान के अंगीकार से लेकर इसके वर्तमान स्वरूप तक हुए बदलावों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि संविधान में लगातार संशोधन हुए हैं, लेकिन फिर भी हमने अब तक इसकी मूल आत्मा को जीवित रखा है। उन्होंने राष्ट्रमंडल के गठन की जानकारी देते हुए बताया कि भारत सरकार के प्रयासों से यह संभव हुआ कि इसके नाम से ब्रिटिश शब्द को हटाया गया।  पूर्व प्रधानमंत्री पं.जवाहरलाल नेहरू ने ब्रिटिश कॉमनवेल्थ में शामिल होने पर आपत्ति जताई थी। आखिरकार ब्रिटिश हुक्मरानों को नेहरू की शर्तें माननी पड़ीं।
आज कोई भी देश इसका अध्यक्ष बन सकता है।  उन्होंने कहा कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का हिस्सा नहीं है, लेकिन यह संविधान का अभिन्न अंग है। उच्चतम न्यायालय में बहुत से महत्वपूर्ण निर्णय इस आधार पर लिये गए हैं। उन्होंने गोलकनाथ, केशवानन्द भारती जैसे महत्वपूर्ण प्रकरणों की जानकारी देते हुए बताया कि किस तरीके से भारतीय संसदीय व्यवस्था में लगातार बदलाव हुए हैं। उन्होंने विधायकों को अनुच्छेद 368 के पुराने तथा नए स्वरूप को गहनता से अध्ययन करने के लिए कहा जिससे संविधान संशोधन की प्रकिया में हुए बदलाव की जानकारी मिल सके।  राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (राजस्थान शाखा) के उपाध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने अपने व्यक्तित्व एवं कृतित्व से देश के समृद्ध संसदीय लोकतंत्र का गौरव और बढ़ाया है। अपने लम्बे सार्वजनिक जीवन में मुखर्जी जिस भी पद पर रहे हैं वहां उन्होंने अपनी विशिष्ट कार्यशैली की अमिट छाप छोड़ी है। मुझे उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला है। राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (राजस्थान शाखा) के अध्यक्ष एवं विधानसभा के स्पीकर डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि प्रदेश एवं विधानसभा में पहली बार आयोजित यह सेमिनार 15वीं विधानसभा एवं विधानसभा के पूर्व सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।

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