बाराबंकी : स्थानीय जनपद के 2842 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर गोदभराई समारोह का आयोजन किया गया। इसी दौरान गर्भवती माताओं को सुरक्षित और संस्थागत प्रसव, संतुलित पोषाहार, टीकाकरण, प्रसव पूर्व जाँच, परिवार नियोजन एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां दी गयी। कार्यक्रम के दौरान मंगलगीत के साथ पहली तिमाही के गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार भेट कर गोद भराई की रस्म अदा की गई। साथ ही गर्भवती महिलाओं का राजिस्ट्रेशन कर विभिन्न जानकारियां दी गई। जिला कार्यक्रम अधिकारी प्रकाश कुमार चौरसिया ने बताया कि जनपद के 2842 आंगनबाड़ी केंद्रों पर गोदभराई दिवस कार्यक्रम के रूप में मनाया गया।
कार्यक्रम के दौरान पहली तिमाही यानि तीसरे माह की गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार भेट कर गोद भराई की रस्म मनायी गई। साथ ही गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान समय से जांच कराने, आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करने, आयरन की गोली का नियमित प्रयोग करने, प्रसव के एक घंटे के अन्दर पीला गाढ़ा दूध नवजात को पिलाय जाने, प्रसव सिर्फ संस्थागत कराने की सलाह दी गई। इसके साथ ही चतुरंगी आहार में लाल, हरा, पीला, सफेद चार तरीके के भोजन करने की सलाह दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा केंन्द्र पर उपस्थित महिलाओं एवं किशोरियों को साफ-सफाई के बारे में बताया कि आप लोग अपने घर के आसपास साफ-सफाई का माहौल रखें और कहीं भी पानी इकठ्ठा न होने दें क्योंकि रुके हुये पानी में मच्छर के पनपने का डर रहता है। इस वजह से वहां बिमारियां पनपती है।
रामनगर विकास खण्ड की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने जानकारी देते हुए बताया कि यहां केन्द्रों पर मौजूद गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को प्रसव के पूर्व की तैयारी और प्रसव पश्चात की तैयारी के विषय में जानकारी दी गई। इसके अलावा उन्होंने टीकाकरण, परिवार नियोजन, संस्थागत और सुरक्षित प्रसव के विषय में भी बताया। उन्होंने पोषण के अन्तर्गत हरी सब्जी, दूध, फल का सेवन, स्वास्थ्य के अन्तर्गत नियमित टीकाकरण, आयरन की गोली, प्रसव पूर्व जाँच के बारे में विभिन्न जानकारी दी गई। सभी महिलाओं को जन्म से लेकर छः माह तक शिशुओं को सिर्फ स्तनपान ही कराने और अन्य किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ न खाने के लिए परामर्श दिया गया। आंगनबाड़ी केंद्र पर मिलने वाले पौष्टिक आहार के बारे में पूछे जाने पर लाभार्थियों ने बताया कि पुष्टाहार से गर्भवती महिलाओं के गर्भ में पल रहे बच्चों को पोषकतत्व प्रदान कर उनको कुपोषण से बचाया जा सकता है। संतुलित खानपान और पोषाहार से बच्चों के शारीरिक एवं बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है एवं पूरक तत्वों की कमी को दूर किया जा सकता है।