बनगांव नगर पालिका अविश्वास प्रस्ताव प्रकरण
कोलकाता : पश्चिम बंगाल की बनगांव नगर पालिका में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट ने तीखी टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के नाम पर बनगांव नगर पालिका में लोकतंत्र को तार-तार कर दिया गया। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अविश्वास प्रस्ताव के दिन पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि पुलिस ने निष्पक्ष तरीके से काम किया होता तो आज ऐसे हालात नहीं होते। सोलह जुलाई को बनगांव नगरपालिका में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के शंकर आट्य चेयरमैन हैं। उनके पक्ष में 10 पार्षद हैं, जबकि भाजपा के पक्ष में 11 पार्षद। उस दिन भाजपा के नौ पार्षदों को नगरपालिका के एक कमरे में बंद कर दिया गया था, जबकि दो पार्षदों को कोर्ट का आदेश होने के बावजूद पुलिस ने नगर पालिका परिसर में घुसने तक नहीं दिया था। इसके बाद नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी ने जिलाधिकारी के पास रिपोर्ट दी जिसमें कहा गया था कि तृणमूल कांग्रेस विश्वास मत जीत गई है।
इस पर पूर्व में सुनवाई करते हुए जस्टिस समाप्ति चटर्जी ने अविश्वास प्रस्ताव को निरस्त कर दिया था और इसे नए सिरे से लाने का निर्देश दिया था। इसके बाद सोमवार को भी इस पर सुनवाई हुई। इस दौरान उन्होंने पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि जिस दिन बनगांव नगर पालिका में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया उस दिन अगर पुलिस निष्पक्ष तरीके से काम करती तो हिंसा भी नहीं होती और प्रस्ताव पर वोटिंग भी सही तरीके से होती। उन्होंने पूछा कि आखिर पुलिस ने एक पार्टी के पक्ष में होकर काम क्यों किया?