लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में गुरुवार को विपक्ष ने नौकरी में आरक्षण के मुद्दे पर जमकर हंगामा किया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार नौकरी में आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करने का प्रयास कर रही है। इस मुद्दे को लेकर सपा, बसपा और कांग्रेस के सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन भी किया। नेता प्रतिपक्ष रामगोविंद चौधरी ने गुरुवार को सदन में आरक्षण के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा सहायक आचार्य के पद पर विज्ञापन निकाला गया और परीक्षा के बाद सामान्य वर्ग के छात्रों को जिनके अंक कम थे, उन्हें इंटरव्यू में शामिल कर लिया गया। वहीं पिछड़े और अनुसूचित जाति के छात्रों के साथ सौतेला व्यवहार करते हुए ज्यादा अंक के बावजूद उन्हें इंटरव्यू के लिए नहीं बुलाया गया। श्री चौधरी ने कहा कि वह किसी वर्ग का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन संविधान में जिनको आरक्षण का अधिकार मिला हुआ है, उसके बाद भी राज्य सरकार साजिश के तहत पिछड़ों और अनुसूचित जाति को आरक्षण का लाभ नहीं दे रही है। नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश में जब से भाजपा सरकार आई है तब से लगातार आरक्षण की व्यवस्था को समाप्त करने का काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसी भी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के पद पर कोई पिछड़े या अनुसूचित जाति के वर्ग का व्यक्ति तैनात नहीं है।
नेता प्रतिपक्ष के सवाल पर संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि राज्य सरकार संवैधानिक व्यवस्था को लागू करने में कोई कोताही नहीं कर रही है और न ही सरकार की ऐसी कोई मंशा है। उन्होंने कहा कि पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए सरकार कृत संकल्पित है। बिना किसी छेड़छाड़ के यह व्यवस्था लागू है। इसके बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकार पिछड़ों और दलितों की आवाज को दबाना चाहती है। इसलिए भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। यह कहते हुए पार्टी के सदस्यों के साथ उन्होंने सदन का बहिर्गमन कर दिया। कांग्रेस विधायकों के बाहर जाते ही सपा सदस्यों ने भी सदन का बहिर्गमन कर दिया। संसदीय कार्य मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होकर नेता प्रतिपक्ष राम गोविंद चौधरी ने कहा कि जबसे भाजपा सरकार बनी है तब से देश भीड़ हिंसा के नाम पर बदनाम हो रहा है। उन्होंने कहा कि अब अमेरिका ने भी कह दिया है कि सबसे अधिक माॅब लिचिंग की घटना उत्तर प्रदेश में हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि उप्र सरकार अल्पसंख्यकों को दबाने का काम कर रही है। यह कहते हुए नेता प्रतिपक्ष सपा सदस्यों के साथ सदन का बहिर्गमन कर दिये।