सख्त हुईं ममता, कतरे पार्टी विधायकों के पर

जिला परिषद सदस्यों को विश्वास में लेकर ही विकास कार्य कर सकेंगे टीएमसी विधायक

कोलकाता : मुख्यमंत्री एवं तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की प्रमुख ममता बनर्जी ने जिला परिषद के सदस्यों को पार्टी स्तर पर और अधिक अधिकार प्रदान करने की घोषणा की है। इसके तहत अब ग्रामीण क्षेत्रों में कोई भी सांगठनिक निर्णय अथवा विकास कार्यों से संबंधित फैसले तृणमूल के विधायक अकेले नहीं कर पाएंगे। उन्हें पार्टी के जिला परिषद सदस्यों को भी विश्वास में लेना होगा। इसके अलावा जिला परिषद और पंचायत के चुनाव में सदस्यों के नाम पार्टी के विधायक तय करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। इसके लिए विधायकों को जिला परिषद के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से परामर्श करना होगा। ममता का यह फैसला पार्टी स्तर पर विधायकों के पर कतरने से जोड़कर देखा जा रहा है। राज्य सचिवालय के सभागार में सोमवार को ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के राज्यभर के करीब 800 जिला परिषद सदस्यों के साथ बैठक की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकतर क्षेत्रों में विधायकों की तुलना में अधिक काम जिला परिषद, पंचायत समिति और ग्राम पंचायत के सदस्य करते हैं। ग्रामीण अंचल में जिला परिषद, ग्राम पंचायत और पंचायत समिति की भूमिका सबसे बड़ी होती है। लोगों के विकास कार्यों से लेकर सरकारी परियोजनाओं को जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी इन सदस्यों की ही होती है। ऐसे में उनका अधिकार बढ़ाने के लिए यह निर्णय लिया गया है।  ममता बनर्जी ने जिला परिषद के सदस्यों को अधिक से अधिक लोगों के बीच जाकर राज्य सरकार के कार्यों से अवगत कराने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने आम लोगों के लिए कन्याश्री, रूपश्री, खाद्य साथी, स्वास्थ्य साथी, कृषक बंधु जैसी महत्वाकांक्षी योजनाओं की शुरुआत की है। इससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित होंगे। साथ ही सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बरतने का निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिया है। लोकसभा चुनाव में अधिकतर पंचायत व जिला परिषद क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस को हार का मुंह देखना पड़ा है। इसे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधियों को लोगों की नाराजगी को समझ कर उसे दूर करने का भी निर्देश दिया है।

बैठक से गैरहाजिर रहे दक्षिण दिनाजपुर के कुछ सदस्य

सूत्रों के मुताबिक दक्षिण दिनाजपुर ज़िला परिषद के 18 में से सिर्फ 11 सदस्य बैठक में मौजूद थे। इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री ने इन सदस्यों के साथ सचिवालय में अलग से बैठक की और जिलाधिपति समेत अन्य प्रतिनिधियों के भाजपा में जाने की आशंका के मद्देनजर अलग से रणनीति बनाने का निर्देश दिया है। उल्लेखनीय है कि राज्य में 48 हजार 649 पंचायत सदस्य, 9217 पंचायत समिति के सदस्य तथा 825 जिला परिषद के सदस्य हैं।

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