महज कल्पना करके कोई भी सिहर सकता है कि जिस लंदन से न्यूयॉर्क की हवाई यात्रा में अभी आठ घंटे लगते हैं, उसे भविष्य में सिर्फ दो घंटे में ही पूरा किया जा सकेगा। अमेरिकी विमान निर्माता कंपनी बोइंग यह कमाल करने जा रही है। वह ध्वनि की चाल से पांच गुना अधिक तेज हाइपरसोनिक विमान बना रहा है। अगले बीस साल में लोगों का यह सपना साकार हो सकता है।
संकल्पना आई सामने
अटलांटा में अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोनॉटिक्स एंड एस्ट्रोनॉटिक्स एविएशन 2018 सम्मेलन में विमान की संकल्पना के बारे में दुनिया को बताया गया। कंपनी इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए तेजी से काम कर रही है। प्रशांत महासागर को तीन घंटे में पार करने में सक्षम यह विमान अब तक के सबसे तेज कॉनक्रोड विमान से भी कई गुना तेज होगा।
ऐसे करेगा काम
ध्वनि की रफ्तार से पांच गुना तेज यानी 4000 मील प्रति घंटा से उड़ने वाला यह विमान आसमान में 95 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ेगा। यहां हवा का दवाब बहुत कम होता है। लिहाजा इसे अपेक्षित रफ्तार पर उड़ने में कोई दिक्कत नहीं होगी। आमतौर पर सभी विमान 30 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ते हैं। यहां हवा का दबाव ज्यादा होता है।
टर्बोफैन इंजन का इस्तेमाल
इंडस्ट्री विशेषज्ञों का अनुमान है कि बोइंग इस विमान के लिए ऐसे टर्बोफैन इंजन का इस्तेमाल कर सकती है जो अलगअलग रफ्तार पर उड़ान भर सके। जल्द तेज रफ्तार पकड़ने के लिए इसे रैमजेट इंजन की मदद नहीं लेनी होगी। रैमजेट इंजनों से इंजनों को आगे बढ़ने में मदद मिलती है। यह विमान के सामने की हवा को कंप्रेस कर आगे बढ़ने का बल पैदा करता है। वर्तमान में कुछ मिसाइलों में इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
खास होगा निर्माण
ऐसे विमानों के निर्माण में कॉर्बन नैनोट्यूब और बोरोन नाइट्राइड नैनोट्यूब सामग्री का इस्तेमाल होता है। यह सामग्री स्टील से अधिक मजबूत होती है और गर्मी को बर्दाश्त कर सकती है। कॉर्बन नैनोट्यूब 400 डिग्री तापमान झेल सकता है। वहीं बीएनएनटी 900 डिग्री का तापमान झेल सकता है। यह उच्च दबाव को भी झेल सकता है और बहुत ही हल्का होता है।