श्रावण कृष्ण सप्तमी को महाशक्ति के अनंत रूपों में से प्रमुख शीतला माता की पूजा प्राचीनकाल से ही की जाती रही है। गृहस्थों के लिए माँ की आराधना दैहिक तापों ज्वर, राजयक्ष्मा, संक्रमण तथा अन्य विषाणुओं के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाती है। विशेष रूप से बुखार, चेचक, कुष्ठ रोग, दाह ज्वर, पीत ज्वर, दुर्गन्धयुक्त फोड़े तथा अन्य चर्मरोगों से आहत होने पर माँ की आराधना रोगमुक्त कर देती है। यही नहीं व्रती के कुल में भी यदि कोई इन रोगों से पीड़ित हो तो माँ शीतलाजनित ये रोग-दोष दूर हो जाते हैं।