दिल में हज की खुशी तो जुबां पर ‘अल्लाहुम्मा लब्बैक‘ की सदा

300 आजमीनों का पहला जत्था मदीना रवाना

लखनऊ। दिल में हज की खुशी, तो जुबां पर और लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैका लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक’ की सदा के साथ हाथों में तिरंगा झंडा पकड़े हज यात्रियों का पहला जत्था अल्लाह की बारगाह के लिए रवाना हो गया। हज हाउस से रात दस बजे रूहानी माहौल में 300 आजमीनों के पहले जत्थे ने चौधरी चरण सिंह एअरपोर्ट से देर रात मदीना के लिए उड़ान भरी। यह आजमीन हज हॉउस से फूलों से सजी बस में सवार होकर एअरपोर्ट के लिए निकले। इन्हें वक्फ मामलों के मंत्री मोहसिन रजा और हज कमेटी के सचिव राहुल गुप्ता ने मौलाना अली मियां मेमोरियल हज हाउस से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

वहीं अपने अजीजों को हज के लिए जाता देख आजमीनों के घरवालों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। आजमीनों के साथ आए उनके यह रिश्तेदार खुशी के आंखू रोक नहीं पाए तो आजमीनों की आंखों में मक्का जाने की चमक साफ दिख रही थी। पहले दिन एक उड़ान से 300 हज यात्री रवाना हुए। इनमें पहली फ्लाइट से तीन सौ में से 154 पुरुष और 146 महिलाएं थीं। वहीं मौलाना खालिद रशीद ने कहा कि आजमीनों के लिए बड़े फक्र की बात है कि पैंगंबर मोहम्मद के अदा किए गए हज के अरकान दोहराने का मौका मिलने जारहा है। मौलाना ने सभी को बेहतर सफर के लिए दुआएं भी दीं। उन्होंने कहा कि हज पर जाने वाले अल्लाह के मेहमान होते हैं लिहाजा हज यात्रियों को चाहिए कि अपने और अपने खानदान के लिए तो दुआ करें साथ ही देश कीतरक्की के लिए भी दुआ जरूर मांगे।

आज चार उड़ानों से रवाना होंगे आजमीन
रविवार की चार उड़ान रवाना होगी। पहली फ्लाइट से 300 में से 168 पुरुष और 132 महिलाएं हैं, जबकि दूसरी और तीसरी उड़ानों में 298-298 बुकिंग हो गई हैं। दिन की आखरी उड़ान के लिए 281 यात्रियों ने पंजीकरण करवा लिया है।

क्या होता है अल्लाहुम्मा लब्बैक का अर्थ!
‘लब्बैका अल्लाहुम्मा लब्बैक .. लब्बैका ला शरीका लका लब्बैक , इन्नल-हम्दा वन्ने-मता लका वल-मुल्क, ला शरीका लक। इसका मतलब है कि ‘ऐ अल्लाह मैं हाजिर हूं .. मैं हाजिर हूं। तेरा कोई शरीक (साझी) नहीं, मैं हाजिर हूं… बिना किसी शको-शुबाह के हर तरह की तारीफ, सभी नेमतें और सभी संप्रभुता तेरी ही हैं।

उम्र दराज लोगों में हज की खुशी सबसे ज्यादा
इस बार बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जिनकी उम्र तो ज्यादा थी लेकिन हज के लिए खुशी भी थी। इनमें शामिल 80 बरस के मौलाना शौकत अली ने मुकद्दस सफर पर रवाना होने से पहले कहा कि नौ साल से लगातार फॉर्म भरते थे। अल्लाह का लाख-लाख शुक्र है कि इस बार जियारत के लिए बुला ही लिया। वहीं 69 बरस की नजमा बेगम की आर्थिक स्थित बेहद कमजोर थी लेकिन 14 साल पहले ही हज करने की ठानी और फिर गुल्लक में हर रोज कुछ न कुछ पैसा जमा करने लगी और आज वह हज को जा रही है। वहीं आज गए आजमीनों में सबसे उम्रदराज आजमीनों में 87 साल की असगरी बेगम ने आंखों में खुशी के आंसू लिए कहा कि बरसों से तमन्ना थी कि अल्लाह की बारगाह में हाजिरी लगाएं और दुनिया से रुख्सत होने से पहले मुकद्दस हज का मौका मिल गया।

अव्यवस्थाओं का भी रहा बोलबाला
हज हाउस में आज अव्यवस्थाएं भी खूब दिखी। आजमीनों के रिश्तेदारों ने अपने चार पहिया वाहन सड़क पर खड़े कर दिए थे जिससे जाम की स्थिति बनी रही। वहीं हज हाउस के अंदर पीने के पानी का इंतेजाम था लेकिन गेट पर मौजूद आजमीनों के रिश्तेदारों को पानी के लिए भटकना भी पड़ा।

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