भारतीय न्याय व्यवस्था में एक आरोपी को न्याय मिलने में 39 साल का समय लग गया. 39 साल बाद कोर्ट ने माना है कि जिस समय हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया, उस समय आरोपी की उम्र 17 साल 6 महीने थी. जिसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को नाबालिग करार देते हुए रिहा करने के आदेश जारी किए हैं.
उल्लेखनीय है यह मामला बिहार के गया शहर से जुड़ा हुआ है. 1980 में यहां पर बनारस सिंह नामक आरोपी को एक होटल में हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 8 साल चली सुनवाई के बाद 1988 में निचली अदालत ने बनारस सिंह को उम्र कैद की सजा सुनाई थी.
आरोपी बनारस सिंह ने अपने बचाव में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लंबी सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए उम्र कैद की सजा को कायम रखा. इसके बाद, आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान, बचाव पक्ष के वकील यह साबित करने में कामयाब रहे कि वारदात के समय आरोपी बनारस सिंह की उम्र महज 17 साल 6 महीने थी. जिसके चलते, सुप्रीम कोर्ट ने बनारस सिंह को नाबालिग ठहराते हुए रिहाई के आदेश दिए हैं.