बरेली की हिम्मती बिटिया, काश! तुम तक मेरी बात पहुँच जाती : स्वामी राम शंकर

तुम कितनी कठोर हो, कितनी स्वार्थी हो, लानत है तुम्हारे होने पर, तुमने 9 माह के उस त्याग को, प्रसव वेदना को अपने उस बाप के प्यार को, भुला दिया। गज़ब है तुम्हारा प्रेम वो भी उस व्यक्ति के खातिर जिसे तुम महज कुछ वर्षों से जानती हो। ग़लती तुम्हारी नहीं, तुम अपने परिवार के किसी प्रबल प्रारब्ध की परिणाम हो। तुम्हारा जन्म ही इसलिये हुआ कि तुम अपने जन्मदा जननी को, अपने भाई को जीते जी मार सको। बहन! इश्क करना गुनाह नही है, प्रेमी को पाना, प्रेमी के साथ रहना तुम्हारा हक़ है। पर उस बाप के लिये भी तुम्हारा कुछ फ़र्ज़ बनता है। जिस तरह अपने माता पिता के सम्मान को रौंद रही हो, अपने ही शब्द बाणो से माँ—बाप के हृदय को लुहलुहान कर रही हो, उसकी जितनी निंदा की जाय कम है। तुम तो बेटी नहीं, कसाई हो, मार ही डाला उसे जिसकी वजह से तुम्हारा वजूद है। मैं समाज के अबोध बहनों से प्रार्थना कर रहा हूँ कि इस तरह आप मत करना, नहीं तो बेटियों को जन्म देने से लोग डर जायेंगे।

किसी के खातिर किसी को इस कदर बदनाम न करो कि वो किसी का सामना ही न कर सके। मैं विधायक बाप के बारे में सोच सोच कर विह्वल हो जा रहा हूँ, आंखां में नमी आ गयी है, कितना टूट गये होंगे आप! बाबू जी मत टूटिये, इस ग़म को भूल पाना कितना मुश्किल होगा। जीवन भर ख़ुद को कोसते रहेंगे आप इस दर्द से कैसे निकलेंगे आप। हे ईश्वर, आप एक पिता को बचा लीजिये, उसे हिम्मत दीजिये। अतः में समाचार चैनल के चिरकुट पत्रकारों की पत्रकारिता को धिक्कारता हूँ जो एक पिता को बेवज़ह चर्चा का केंद्र बना रहे हैं। मैं स्वामी राम शंकर, प्रेम विवाह को हृदय से समर्थन करता हूँ। जाति धर्म से ऊपर उठकर हमको मनुष्य बनना है पर मनुष्य बनने के इस प्रयास में यदि हम हत्या करने लगे तो ऐसे हत्यारों को मैं कभी एक सच्चे प्रेमी के रूप में स्वीकार नही करूँगा।

बिटिया याद रखना, तुमने उस बाप का कत्ल किया है जिसकी वजह से तुम हो, बिटिया तुमने खुद को बचाने में अपने ही बाप को मार दिया। धन्य हो तुम और तुम्हारी मेधा। अभी भी वक्त है, बाप को जिस तरह बदनाम कर रही हो, तुम्हारे सिवा कोई और तुम्हारे पिता को निष्कलंक साबित नहीं कर सकता। अगर आज तुम नहीं समझी तो देखना कल वक्त ख़ुद तुम्हे समझायेगा, पर हो सकता है तुम्हारे पास अवसर न हो कि तुम्हें माफ़ी प्राप्त हो सकें। ऐसे में तुम घुट—घुट कर मरोगी।
(आलेख में स्वामी राम शंकर के निजी विचार हैं, इस विषय पर स्वामी राम शंकर का फ़ेसबूक लाइव देखने के लिये लिंक पर क्लिक करें
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