ड्राइवर के बहाने जिम्मेदारी से नहीं बच सकते अधिकारी : योगी

हादसों पर सख्त : फिटनेस के बाद ही वाहनों को सड़क पर चलने की इजाजत दें
अधिकारियों एवं मंत्रियों समेत सभी वाहन चालकों का मेडिकल चेकअप कराएं

लखनऊ : यमुना एक्सप्रेस-वे हादसे के चार दिन बाद सड़क सुरक्षा को लेकर हुई बैठक में विभागीय अधिकारियों से मुख्यमंत्री खासे नाराज दिखे। उन्होंने कहा कि ऐसे हादसे सिर्फ चालकों के मत्थे मढ़कर अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकते। जनता के जीवन के साथ कतई समझौता सहन नहीं होगा। परिवहन विभाग में युद्ध स्तर पर सुधार की आवश्यकता है। गुरुवार को लोकभवन में हुई बैठक में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सभी वाहन चालकों का मेडिकल चेकअप, लाइसेंस की जांच, उनकी पूरी स्क्रीनिंग और चालकों के स्टेयरिंग पर बैठने से पहले और गंतव्य तक पहुंचने पर उनका ब्रेथ एनेलाइजर टेस्ट कराया जाए। रात में 400 किमी. तक या उससे ज्यादा चलने वाली बसों में दो ड्राइवर रहें। अधिकारियों एवं मंत्रियों के चालकों का भी मेडिकल चेकअप हो।

बैठक में मौजूद जेपी इन्फ्राटेक के अधिकारियों को निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आपकी कंपनी को गलत कार्यों करने की इजाजत प्रदेश सरकार नहीं दे सकती है। टोल आप वसूलते हैं, तो सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम आपकी जिम्मेदारी है। आईआईटी दिल्ली द्वारा बताए गए सुरक्षा के सभी 13 सुझावों का पालन करिए। यमुना एक्सप्रेस-वे अथॉरिटी के अधिकारी इस बात को सुनिश्चित करें अगर मानकों का पालन नहीं हो रहा है, तो कंपनी के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करें।

मुख्यमंत्री स्कूली बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी खासे चिंतित दिखे। उन्होंने कहा कि जिन मारूती वैन्स, टैम्पो को रिजेक्ट कर दिया जाता है, उन्हें स्कूल में चलाया जा रहा है। रिक्शों पर बच्चे लटक कर स्कूल जाते हैं। पिछले साल कुशीनगर में हुई घटना से भी सीख नहीं ली गई है। स्कूल का वाहन चलाने वाले सभी चालकों की मेडिकल जांच के साथ ही पुलिस सत्यापन कराएं। स्कूली वाहनों का नियमित फिटनेस टेस्ट सत्र शुरू होने से पहले हो जाना चाहिए। इनके लिए जरूरी हो तो छुट्टी के दिन भी आरटीओ कार्यालय खोलें। जो भी वाहन फिटनेस पास हो उनको ही सड़क पर चलने की अनुमति दी जाए। कंडम बसें और डग्गामार वाहनों को स्क्रैप कर दिया जाए। अन्य प्रदेशों से आने और जाने वाली बिना परमिट की बसों को प्रदेश से गुजरने की अनुमति न दें। जो भी कानून का उल्लंघन करे उससे पूरी सख्ती से निपटें।

चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित करे कि किसी हादसे 10-15 मिनट के भीतर वहां पर घायलों के लिए जरूरी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हों। उन्होंने कहा कि जितने भी ट्रामा सेंटर हैं, वो चलने चाहिए, इनमें आर्थोपैडिक सर्जन की व्यवस्था हो। यातायात विभाग को निर्देश करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि नीली और काली फिल्म चढ़ाए वाहनों पर कार्रवाई की जाए। हेल्मेट और सीट बेल्ट को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति पर कार्य किया जाए। एक्सप्रेस-वे, NHAI और SH विभाग के अधिकारियों को निर्देश करते हुए उन्होंने कहा कि हाइवे पर जनसुविधाओं को बढ़ाया जाए, पेट्रोल पंप की व्यवस्था की जाए और ई चालान की व्यवस्था में और सुधार लाया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी जिलाधिकारी अपने जिलों में सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी विभागों के अधिकारियों के साथ हर माह बैठक करें। जिसकी समीक्षा हर महीने मुख्य सचिव करें। हर तीन महीने पर सड़क सुरक्षा को लेकर सूचना विभाग, परिवहन विभाग और यातायात विभाग व्यापक अभियान चलाए। उन्होंने कहा कि रम्बल स्ट्रिप हर 15 किमी. पर होना चाहिए। हाइवे पेट्रोलिंग वाहन, डायल 100 और एम्बुलेंस के कर्मचारियों को सही ढंग से प्रशिक्षण दिया जाए। ओवर स्पीड को रोकने की व्यवस्था की जाए। अगस्त के पहले सप्ताह में फिर से इस बात की समीक्षा की जाएगी। बैठक में मुख्यमंत्री के साथ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री आशुतोष टण्डन, औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना, परिवहन राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार स्वतंत्र देव सिंह, मुख्य सचिव डॉ.अनूप चंद्र पाण्डेय एवं सम्बंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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