सदन की मर्यादा बनाए रखना सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी : ओम बिरला

राजस्थान की पंद्रहवीं विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के लिए प्रबोधन कार्यक्रम

जयपुर : लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सदन की मर्यादा एवं अनुशासन को बनाए रखना उसके सदस्यों की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में जनता ऐसे प्रतिनिधियों को पसंद करती है जो लोकसभा या विधानसभा में अपने क्षेत्र की समस्याओं को मर्यादा और अच्छे संवाद के साथ सदन में प्रस्तुत करते हैं। राजस्थान विधानसभा के सदस्यों ने अनेकों बार राष्ट्रीय स्तर पर कई पदों पर पहुंच कर इस सदन का गौरव बढ़ाया है और प्रदेश के मान-सम्मान में वृद्धि की है। लोकसभा स्पीकर बिरला रविवार को राजस्थान की पंद्रहवीं विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों के लिए आयोजित प्रबोधन कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा की पाठशाला से उन्हें जो स्वस्थ संसदीय परम्पराओं की सीख मिली है उन नियम एवं परम्पराओं को लोकसभा में भी लागू करने का प्रयास किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि लोकसभा या विधानसभा की कार्यवाही जितनी अधिक चलेगी, सरकार उतनी ही अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनेगी। जिस मंत्री को जितने अधिक प्रश्नों का उत्तर देने का अवसर मिलेगा, वह मंत्री अपने विभाग को उतना ही बेहतर तरीके से समझ पाएगा। किसी भी विधानसभा या लोकसभा में सदस्य अलग-अलग राजनीतिक दलों और विचारधाराओं से चुनकर आते हैं। उन्हें सदन में उस विचारधारा पर बोलने का अधिकार है, लेकिन अंततः सदन में दलीय विचारधारा से ऊपर उठकर राज्यहित एवं राष्ट्रहित में चर्चा होनी चाहिए। जिस प्रकार बजट पर गहनता से चर्चा होती है उसी प्रकार सदन में रखे जाने वाले विधेयकों पर समितियों में भी विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। सदन कभी भी पक्ष या प्रतिपक्ष का नहीं होता, यह सभी सदस्यों का सदन है, इसलिए उसकी मर्यादा और अनुशासन को कायम रखना सभी सदस्यों की जिम्मेदारी होती है। वहीं सदन का पीठासीन अधिकारी होने के नाते स्पीकर की यह जिम्मेदारी है कि वह पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों का संरक्षण करे और उन्हें अपने क्षेत्र के लोगों की समस्याओं को सदन में उठाने का अवसर दे।

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष सी.पी. जोशी ने कहा कि यह राजस्थान के लिए हर्ष का विषय है कि राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे बिरला अब देश के सर्वोच्च सदन के पीठासीन अधिकारी है। अब लोकसभा में हो रहे सभी नवाचारों का राज्य को अधिकतम लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि राज्य की विधानसभा में नियम, परंपराओं तथा प्रकियाओं की पालना हो जिससे लोकतंत्र मजबूत बने। उन्होंने कहा कि विधायकों का मुख्य कार्य विधान बनाना है, ऎसे में इससे जुड़े नियम तथा प्रकियाओं की समझ सभी विधायकों को होनी चाहिए।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि विधायक के रूप में हम सभी जनता के ट्रस्टी हैं। हर विधायक में यह भावना होनी चाहिए कि जनता के ट्रस्टी के रूप में हम सदन में गरीबों, पिछड़ों, आदिवासियों सहित हर वर्ग की समस्याओं को उठाएंगे। सदन जनता की आवाज को बुलन्द करने का मंच है। सदन के नियमों, प्रक्रियाओं तथा परम्पराओं का विधायक जितना अध्ययन करेंगे उनका व्यक्तित्व और कृतित्व उतना ही निखरेगा। उन्होंने कहा कि राजस्थान विधानसभा का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। भैरोसिंह शेखावत, स्व. मोहनलाल सुखाड़िया, रामनिवास मिर्धा, नाथूराम मिर्धा, नवलकिशोर शर्मा, बलराम जाखड़, जगन्नाथ पहाड़िया, कमला बेनीवाल जैसे प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं ने देश की संसदीय प्रणाली को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। देश के सर्वोच्च सदन में भी राजस्थान विधानसभा की नजीर दी जाती है। उन्होंने लोकसभा स्पीकर के रूप में सर्वसम्मति से चुने जाने पर ओम बिरला को बधाई देते हुए कहा कि हम सभी को इस बात का गर्व है कि वे राजस्थान विधानसभा के सदस्य रहे हैं।

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