पूर्व काशी नरेश के वंशज ने भी हाजिरी लगाई
इसके पूर्व अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर केे पुजारी राधेश्याम पांडेय के आचार्यत्व में तड़के भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र का फूलों से श्रृंगार किया गया। रथ के शिखर के अलावा परिक्रमा पथ को भी भव्य सजाया गया। सुबह लगभग पांच बजे मंगला आरती के बाद प्रभु को सुबह मक्खन मिश्री का भोग लगा फिर नौ बजे छौंका मूंग.चना, पेड़ा, गुड़ व देशी चीनी के शर्बत का भोग लगाया गया। दोपहर 12 बजे भोग व आरती के पश्चात पट बंद कर दिया गया। अपरान्ह तीन बजे आरती के साथ पुनः दर्शन शुरू होगा। रात आठ बजे आरती रात 12 बजे शयन आरती होगी। रथयात्रा मेले के चलते पूरे मेला क्षेत्र में लघु जगन्नाथ पुरी का नजारा रहा। लोगों में अष्टकोणीय रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ का दर्शन के साथ रथ को स्पर्श करने की होड़ मची रही। दर्शनार्थियों में गुलाब, कमल और बेला के फूलों से सजा मंदिर की आकृति वाला दो टन वजनी लकड़ी का रथ आकर्षण का केन्द्र बना रहा।