कोलकाता : पश्चिम बंगाल का नाम बदलने को लेकर अब राज्य और केंद्र सरकार के बीच ठन गई है। राज्य का नाम हिंदी, इंग्लिश और बांग्ला तीनों ही भाषाओं में “बांग्ला” रखने की राज्य सरकार की मांग को केंद्र सरकार ने ठुकरा दिया है। बुधवार को केंद्रीय गृह विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य का नाम बदलने संबंधी जो आवेदन राज्य सरकार ने किया है उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा, राज्य का नाम नहीं बदलेगा। अब ममता बनर्जी ने केंद्र के इस फैसले को स्वीकार करने के बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर राज्य का नाम बदलने की अपील की है। बुधवार शाम मुख्यमंत्री ने एक चिट्ठी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम लिखी है। इसमें उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार राज्य सरकार ने विधानसभा में प्रस्ताव पास कर राज्य का नाम बदलने की अपील की है। ऐसे में अब नाम क्यों नहीं बदला जाएगा?
ममता ने दावा किया है कि राज्य का वर्तमान नाम यहां की संस्कृति और ऐतिहासिकता के साथ मेल नहीं खाता है, इसलिए इसे बदला जाना चाहिए। अपनी चिट्ठी में ममता ने लिखा है कि 19 जून 2011 को पहली बार पश्चिम बंगाल सरकार ने सर्वदलीय बैठक की थी। इसमें तय किया गया था कि बांग्ला और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में राज्य का नाम “पश्चिम बंग” रखा जाना चाहिए। इसके बाद दो सितंबर 2011 को विधानसभा में इससे संबंधित प्रस्ताव पास किया गया था और राज्य का नाम बदलने संबंधी आवेदन केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास किया गया था। 14 सितंबर 2011 को राज्य सरकार ने पहली बार आवेदन किया था। इसके बाद तत्कालीन सरकार ने विधानसभा में पारित हुए प्रस्ताव की प्रति मांगी थी जिसे राज्य सरकार ने चार अक्टूबर 2012 को भेज दिया था। लेकिन उसके बाद नाम परिवर्तन के बारे में कोई कदम नहीं उठाया गया। इसके बाद 29 अगस्त 2016 को एक बार फिर राज्य विधानसभा में इससे संबंधित प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें राज्य का नाम बदलकर अंग्रेजी में “बेंगाल”, बांग्ला भाषा में “बांग्ला” और हिंदी में “बंगाल” रखने पर सहमति बनी। उसी वर्ष सितंबर महीने में राज्य सरकार ने इससे संबंधित आवेदन भी केंद्र सरकार के पास कर दिया था।