आज विनोद कापड़ी को लेकर दनादन खुलासे  : अभिषेक उपाध्याय 

दिल्ली : जिन लोगों ने कापड़ी को राजस्थान के नागौर में कूड़े के ढ़़ेर में पाई गई अबोध बच्ची गोद लेने की खातिर बोरा भर भरकर शुभकामनाएं दी थीं, वे अपने हाथों में झाडू़ लेकर तैयार रहें। कापड़ी ने उस बच्ची के साथ वही कर दिया जो ये न्यूज की दुनिया में खबरों के साथ करते आए थे। यानि फेक कर दिया। यानि झूठ कर दिया। यानि झूठ के सहारे उस मासूम की कीमत पर खुद को जमकर हाइलाइट किया और कट लिए। आज उन सारी झूठी कहानियों का सच सामने आएगा, वो भी सबूतों के साथ। मगर इससे पहले ये जान लीजिए कि विनोद कापड़ी हैं कौन? विनोद कापड़ी टीवी की दुनिया में कुत्ता-बिल्ली, सांप-बिच्छू, नाग-नागिन, भूत-प्रेत आदि के प्रवर्तक यानि उनकी शुरूआत करने वाले टीवी के लंकाचार्य के तौर पर मशहूर हैं जो एक नही बल्कि कई कई बार टीवी की लंका लगा चुके हैं। विनोद कापड़ी यू ट्यूब वीडियो के सहारे ओसामा बिन लादेन के उत्तराधिकारी का टीवी पर ब्याह करा देने के लिए कुख्यात हैं। चूंकि ब्याह फर्जी था, उसे यू ट्यूब वीडियोज से जोड़-जाड़कर बनाया जाना था, सो इन्होंने हुक्म दिया कि उस ब्याह में एक लंबी दाढ़ी का मौलवी चाहिए। इनके आदेश पर इनके अनुयायियों ने दाउदी वोहरा समुदाय के धर्मगुरू की फर्जी तस्वीर मौलवी के तौर पर लगा दी और ब्याह करा दिया। इसके बाद दाउदी वोहरा समुदाय से कितनी बार माफी मांगनी पड़ी, ये भी एक इतिहास है। बस इनका एक परिचय और फिर असली खुलासे पर। ये भाईसाहब जो ट्विटर पर बहुत जिम्मेदार पत्रकार बनते हैं, आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएसआर रेड्डी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो जाने के बाद टीवी पर अपने नाम से ये चलाने के लिए कुख्यात हैं कि “मेरी अभी अभी बात हुई है और मुझे पक्की खबर मिली है कि वाईएसआर एकदम सुरक्षित हैं।” इनकी इसी पत्रकारीय समझ का कमाल है कि न्यूज एक्सप्रेस चैनल इन्होंने न सिर्फ डुबाया बल्कि बंद ही करा दिया और टीवी9 भारतवर्ष से निकाले जाने से पहले उसे टीआरपी में आखिरी पायदान पर छोड़ गए थे। वो अब भी वहीं पर है। बाकी इंडिया टीवी में इन्होंने जो कुछ किया, उसका क्रेडिट कुत्ता-बिल्ली, सांप-बिच्छू, नाग-नागिन और भूत-प्रेत लूट ले गए। अब असली खुलासा कि उस नागौर की बच्ची के साथ इन्होंने क्या किया?

पहला- एकदम झूठी खबर फैलाई कि उस बच्ची को इन्होंने बचाया और खुद को बच्ची के रक्षक, उसके बचाने वाले के तौर पर सीएनएन, गल्फ न्यूज तक में छपवा लिया। सिर्फ छपवाया ही नही, उसे अपनी ट्विटर और फेसबुक टाइम लाइन पर बाकायदा शेयर भी किया ताकि पब्लिक भाई साहब को अशोक महान की संज्ञा देते हुए जोर का जयकारा लगा सके। पर दैनिक भास्कर ने सारी सच्चाई छाप दी। दैनिक भास्कर ने उन गांव वालों के नाम तक छाप दिए जिन्होंने उस बच्ची को बचाया, पहले उसे गांव के अस्पताल में ले गए फिर हालत थोड़ी बेहतर होते ही उसे नागौर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया। उसके बाद किसी ने उस बच्ची की तस्वीर ट्वीट कर दी और ये साहब उस बच्ची के लिए ट्विटर पर जार जार रोने लगे। इन्होंने अपनी रुलाई की खबर सीएनएन और गल्फन्यूज तक पहुंचा दी और अपना इंटरव्यू देते हुए खबर छपवा दी कि इन्होंने और इनकी बेहद दयालु पत्री ने उस बच्ची को बचाया और मियां बीबी एक झटके में जीते जी अमर हो गए। सबूत अटैच है। इनकी ही टाइम लाइन के वे स्क्रीन शॉट्स अटैच हैं जहां ये सीएनएन और गल्फ न्यूज में उस बच्ची को “बचाने वाले” के तौर पर अपनी पीठ ठोंकते नजर आ रहे हैं और दैनिक भास्कर की खबर भी जिसमें असली बचाने वालों के नाम दिए गए हैं।

दूसरा– भाई साहब ने तुरंत बाकायदा ऐलान करते हुए माहौल बना दिया कि ये बच्ची गोद लेने जा रहे हैं। मुझे यहीं नीयत समझ आ गई थी। गोद लेने का काम कोई डंका पीटकर करता है क्या? कोई गोद लेने के ऐलान के बाद अपने ट्विटर और फेसबुक पर अपनी तारीफ में आई सैकड़ों शुभकामनाओं को खुद ही शेयर कर अपनी वाहवाही करता है क्या? ऐसा कौन करता है भाई? मगर कापड़ी को उस मासूम बच्ची के नाम पर अपनी जयजयकार का डंका पीटना था। आप सोचिए, कापड़ी ने अपनी पहुंच की बदौलत इंडिया टुडे ग्रुप को एक इंटरव्यू भी दे डाला और उसकी हेडलाइन ये बनाई गई कि “Journalist couple adopts the new born baby” यानि पत्रकार मियां बीबी ने नवजात बच्ची को गोद लिया। इन खबरों में कापड़ी ने ये तक छपवा दिया कि कैसे बच्ची की तस्वीर देखते ही वे रोने लगे। मने कोई एक धर्म के काम में भी ये सब छपवाता है क्या? अब नागौर के कलेक्टर दिनेश यादव ने सारी हकीकत बयां कर दी है। उन्होंने ऑन रिकार्ड कहा है कि अभी तक बच्ची को गोद लेने के लिए कोई प्रक्रिया ही नही शुरू हुई है। प्रक्रिया नही, आवेदन नही मगर कापड़ी ने इंडिया टुडे में छपवा दिया कि उन्होंने बच्ची गोद ले ली। सबूत अटैच है। नागौर के कलेक्टर का बयान और कापड़ी की टाइमलाइन पर कापड़ी के जरिए ही शेयर की गई इंडिया टुडे की वो खबर जो कहती है कि कापड़ी ने बच्ची गोद ले ली। इसे पढ़िए और जोर से तीन बार बोलिए…शर्मनाक…शर्मनाक….शर्मनाक

तीसरा– विनोद कापड़ी अपनी पत्नी समेत उस मासूम बच्ची को देखने नागौर पहुंचे। एक एक कदम की वीडियो रिकार्डिंग और फोटो डालनी शुरू की। जब चले दिल्ली से पहले उसकी फोटो। ट्विटर पर तारीफें बरसना शुरू हो गईं। फिर अस्पताल में उस बच्ची के साथ उसे देखते हुए फोटो व तस्वीर। एंगल एकदम क्लियर। पति-पत्री और बच्ची तस्वीर में दिख रहे। फिर ये तस्वीर भी ट्विटर पर। फिर ट्विटर पर तारीफों के पुल। फिर उस बच्ची के पांव में “पीहू” के नाम का टैग बांधना, उसकी तस्वीर, ये बताते हुए कि हमने उसे पीहू नाम दे दिया। ये तस्वीर भी ट्विटर पर, फिर तारीफों की जोरदार बारिश। और फिर लौट आए। इस बीच अपने ट्विटर की डीपी भी बदल ली। अपने चेहरे की जगह उस बच्ची का चेहरा लगा दिया। फिर तारीफों की बारिश। अब सुनिए असली कहानी। वहां से लौटने के कुछ रोज बाद ही विनोद कापड़ी की ट्विटर टाइम लाइन पर एक ऐलान किया जाता है कि पीहू फिल्म नेटफ्लिक्स पर आने जा रही है। और साथ ही एक हैशटैग बनाया जाता है- Pihu on netflix, …………और जोर शोर से पीहू का प्रमोशन शुरू हो जाता है। वो पीहू नागौर में अकेली छूट जाती है और उसकी जगह नेटफ्लिक्स वाली पीहू का प्रमोशन शुरू हो जाता है। ऐसे में सवाल पूछने की आदत रखने वाले मेरे जैसे पत्रकार तो टीवी पर भूत प्रेत और नाग नागिन चलाने वाले कापड़ी से ये पूछेंगे ही क्या नेटफ्लिक्स में अपनी फिल्म प्रमोट करने के लिए ही ये सब किया था? क्या नेटफ्लिक्स में अपनी फिल्म प्रमोट करने के लिए ही उस मासूम बच्ची के पैर पर पीहू का टैग बाधा था? मुझे मालूम है कि विनोद कापड़ी जवाब नही दे पाएंगे। वे तो अपनी जिंदगी में इस एक सवाल का भी जवाब नही दे पाए हैं कि साल 2012 में दुनिया खत्म क्यों नही हुई? जबकि उन्होंने बतौर एडिटर टीवी के पर्दे पर माया सभ्यता के हवाले से साल 2012 के आखिर में दुनिया के खत्म हो जाने का ऐलान कर दिया था। सबूत के तौर पर विनोद कापड़ी की नेटफ्लिक्स पर पीहू को ट्रेंड करने की कवायद के स्क्रीन शाट्स

अब ये सब पढ़िए, देखिए और अपने आसपास के किसी ऐसे मनोवैज्ञानिक को ढूंढिए जो बता सके कि सोशल मीडिया में हाईलाइट होने की ये कौन सी ग्रंथि है जो एक मासूम को भी नही बख्शती है। अगर कोई ऐसा मनोवज्ञानिक मिल जाए तो प्लीज उसे कापड़़ी जी के पते पर भेज दीजिएगा। ये पूरा केस ही “साइकिक” केस लगता है। क्या कोई टीवी का ऐसा प्रोड्यूसर है जो इस खतरनाक मनोविज्ञान पर एक शो बना सके? रात दस बजे का टाइम स्लॉट ठीक रहेगा। कापड़ी जी की बाइट मैं दिलवा दूंगा। वे बाइट देने में बहुत तेज हैं। जो नही हुआ होता है, उसके भी होने की बाइट दे देते हैं! वे टीवी की दुनिया में कुत्ता-बिल्ली, सांप-बिच्छू, नाग-नागिन, भूत-प्रेत, एलियन आदि के आदि प्रवर्तक हैं।

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