पाकिस्तान के आतंकवाद से लड़ना भारत की चुनौती तो है लेकिन साथ ही साथ पूरी दुनिया को उसके इस चरित्र से लड़ना होगा. दुनिया अब इसे समझने भी लगी है. पाकिस्तान को एक बार फिर फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में डाल दिया गया है.
पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कुछ नहीं किया: एफएटीएफ
पाकिस्तान को फरवरी में ग्रे लिस्ट में डालने की कार्रवाई शुरू हुई थी, लेकिन बीते 4 महीनों में पाकिस्तान दुनिया को ये भरोसा नहीं दे पाया कि वो आतंकवाद पर कार्रवाई को लेकर गंभीर है. नतीजा ये हुआ कि पेरिस में हुई एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई हुई. वैसे पाकिस्तान में जब आतंकी ही नेता बनने लगें तो समझ लेना चाहिए कि उस देश का हाल क्या है.
पेरिस में इस मल्टीनेशनल ग्रुप ने माना कि पाकिस्तान ने आतंकवाद की जड़ें काटने के लिए कुछ नहीं किया. यूं तो FATF के फैसले के पहले 26 सूत्री एक्शन प्लान पाकिस्तान ने पेश किया था, लेकिन उसकी इस बात पर दुनिया को यकीन नहीं हो सका.
पाकिस्तान ने एफएटीएफ के सामने कहा था कि वो हाफिज सईद के संगठन जमात उद दावा की फंडिंग रोकने के लिए कदम उठाएगा. लेकिन दुनिया कहां भरोसा करती कि जिस पाकिस्तान में हाफिज सईद नेता बनने की राह पर है वहां उसके खिलाफ कोई एक्शन भी होगा.
वैसे तो पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने हाफिज सईद की राजनीतिक पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग को रजिस्टर्ड पार्टी का दर्जा देने से इनकार कर दिया है, लेकिन ये तो सिर्फ दिखावा था. इसमें कोई संदेह नहीं. 13 जून को पाकिस्तान के चुनाव आयोग के सामने मिल्ली मुस्लिम लीग की अपील ठुकरायी गई तो 14 जून को ऐलान हो गया कि हाफिज सईद पहले से चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक यानी AAT पार्टी से अपने 202 उम्मीदवारों को 25 जुलाई के चुनाव में उतारेगा.
हाफिज सईद के जो 202 उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे उऩमें उसका दामाद भी शामिल है. नेशनल एसेंबली के लिए 50 उम्मीदवार और 152 उम्मीदवार प्रॉवींसियल सीटों के लिए चुनाव मैदान में होंगे.
हाफिज सईद तो हाफिज सईद बल्कि दूसरे आतंकी भी पाकिस्तान में नेता बन चुके हैं. चरमपंथी सुन्नी गुट अहले-सुन्नत-वल-जमात के प्रमुख मुहम्मद अहमद लुधियानवी को टेरर वॉच लिस्ट से हटा दिया गया है. जबकि लुधियानवी के संगठन का संबंध खूंखार आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-झांगवी से है. उस लश्कर-ए-झांगवी से जिसके अलकायदा से संबंध हैं.
अमेरिका भी दे चुका है चेतावनी
पाकिस्तान की इन्हीं हरकतों की वजह से एफएटीएफ ने तो उसे ग्रे लिस्ट में डाला ही है, अमेरिका भी साफ चेतावनी दे रहा है कि उसके आतंक का घड़ा अब भर रहा है. इसी साल जनवरी में अमेरिका ने पाकिस्तान को मिलने वाली करीब सवा बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद रोक दी थी, क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में वो नाकाम रहा था.
अप्रैल 2018 में भी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने जो नई टेरर लिस्ट जारी की थी उसमें पाकिस्तान से 139 एंट्री थी. इसमें हाफिज सईद को इंटरपोल का मोस्ट वॉन्टेड बताया गया. सितंबर 2017 में भी ब्रिक्स देशों के घोषणापत्र में पहली बार लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों का नाम शामिल किया गया. अमेरिका जैसे दुनिया के देश अब समझने लगे हैं कि आतंकी मुल्क पाकिस्तान पर लगाम लगाए बिना दुनिया में शांति नहीं आएगी.
एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में भी जा सकता है PAK
ग्रे लिस्ट में पहुंचा पाकिस्तान अब एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में भी जा सकता है, जिसके नतीजे पाकिस्तान पर बहुत बुरे होंगे. ग्रे लिस्ट में जाने के बाद ही आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक, यूरोपियन यूनियन, मूडीज और S&P जैसी एजेंसिया पाकिस्तान की रेटिंग को डाउनग्रेड कर सकती हैं.
2012 से 2015 के बीच पहले भी एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में रह चुके पाकिस्तान के लिए अबकी बार खुद को बचाना मुश्किल है. उसके पास खुद को संभालने का सिर्फ एक ही रास्ता है, वो है आतंकवाद को समर्थन से हाय-तौबा करे. आतंकी सोच वाला पाकिस्तान ऐसा कर सकेगा, इसे लेकर कोई दावा करने की स्थिति में अभी नहीं है.
क्या है एफएटीएफ?
एफएटीएफ एक अंतर सरकारी संगठन है. इसे जी-7 देशों की पहल पर 1989 में गठित किया गया था. गठन के समय इसके सदस्य देशों की संख्या 16 थी. 2016 में ये संख्या 37 हो गई. इस संस्था का एक सदस्य भारत भी है. ये संगठन आतंकी संगठनों का वित्त पोषण की निगरानी करता है.