अब सेवानिवृत्त होने के साथ ही ट्रेन चालकों को तीन लाख रुपये का पुरस्कार दिया जाएगा। यह पुरस्कार उन्हें अपने कार्यकाल में दुर्घटनारहित ट्रेन संचालन के लिए मिलेगा।
रेलवे बोर्ड ने इसके लिए नियमों को आसान किया है। इससे देश के 90 फीसद ट्रेन चालक इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
रेलवे में दुर्घटनारहित ट्रेन चलाने वाले चालकों के रिटायर होने पर पुरस्कार देने की व्यवस्था काफी पुरानी है, लेकिन इसके नियम इतने कठिन हैं कि चालकों को कई साल तक कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
बावजूद इसके पुरस्कार मिलने की संभावना कम ही होती है। इस मामले को रेलवे बोर्ड के स्थायी वार्ता तंत्र (पीएनएम) की बैठक में नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेल मेन (एनएफआइआर) ने अप्रैल में उठाया था।
तर्क दिया था कि चालक के सेवानिवृत्त होने के समय दी जाने वाले सर्विस बुक में दुर्घटनारहित ट्रेन चलाने का प्रमाण पत्र भी शामिल होता है।
ऐसे में पुरस्कार के लिए आवेदन की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए। सेवानिवृत्त चालकों को पुरस्कार मिलने में पांच साल का समय लग जाता है।
रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर सेफ्टी (थर्ड) पी श्रीनिवास ने 10 जून को इस संबंध में पत्र जारी किया। इसमें बताया है कि एनएफआइआर की मांग पर रेलवे बोर्ड ने दुर्घटना रहित पुरस्कार के लिए नियम को सरल कर दिया है।
सेवानिवृत्त होने के समय दुर्घटना रहित पुरस्कार राशि भी दी जाएगी। सेवानिवृत्त होने वाले अधिकांश चालकों का वेतन एक लाख रुपये के आसपास हो जाता है।
तीन माह के वेतन के बराबर दुर्घटना रहित पुरस्कार राशि देने का प्रावधान है। चालकों को तीन लाख रुपये के आसपास पुरस्कार राशि मिल जाएगी।
मंडल रेल प्रबंधक अजय कुमार सिंघल ने बताया कि बोर्ड के नए आदेश के अनुसार अब दुर्घटना रहित पुरस्कार दिए जाएंगे।