लखनऊ : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग जो 2012 से लगातार विवादों का केंद्रबिंदु बना रहा – कभी त्रिस्तरीय आरक्षण को लेकर तो कभी स्केलिंग पद्धति को लेकर तो कभी मॉडरेशन को लेकर तो कभी गलत सवालों को लेकर तो कभी पेपर लीक को लेकर तो कभी अपने चहेतों को साक्षात्कार में ज्यादा नंबर देने को लेकर तो कभी ओवरलैपिंग को लेकर तो कभी असमय परीक्षा कराने को लेकर तो कभी परीक्षा के दौरान गलत पेपर बाटने को लेकर। लेकिन इस बार का विवाद कुछ ज्यादा ही संदेहास्पद है पूर्व परीक्षा नियंत्रक पेपर आउट प्रकरण में जेल की हवा खा रही हैं। कार्यवाहक अध्यक्ष को लेकर आनन फानन में पीसीएस जे 2018 का मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी किया जाता है। एक सीरियल में कुछ लड़कों के मुख्य परीक्षा में पास होने पर विवाद कोर्ट में पहुंचता है, नए परीक्षा नियंत्रक जॉइन करें इसके पहले 2 दिन के अंतराल पर साक्षात्कार के लिए डेट आयोग द्वारा दिया जाता है। शायद आयोग के इतिहास में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि पीसीएस जे जैसी बड़ी परीक्षा का साक्षात्कार मुख्य परीक्षा के दो से चार दिन के अंतराल पर कराया जा रहा हो।
आयोग की जल्दबाजी को आसानी से समझा जा सकता है जहाँ आयोग की परीक्षा नियंत्रक ही जेल की हवा खा रही हों, उस आयोग के काले कारनामे को आसानी से समझा जा सकता है। ऐसे में महत्वपूर्ण सवाल ये है कि क्या कोई अभ्यर्थी दो दिन में इस बड़ी परीक्षा के साक्षात्कार की तैयारी कर लेगा ? क्या ये किसी प्रतियोगी के लिए संभव है। आखिर आयोग प्रदेश के युवाओं के भविष्य से लगातार क्यों खेल कर रहा है और किसकी शह पर कर रहा है। सरकार बदली है लेकिन आयोग में कुछ नहीं बदला है, प्रदेश की नई योगी सरकार ने सचिव और परीक्षा नियंत्रक भेजें लेकिन नतीजा सबके सामने है परीक्षा नियंत्रक जेल की हवा खा रही है सचिव अभी बचे हुए हैं, लेकिन इनकी भूमिका भी मुझे संदेहास्पद ही नजर आ रही है। सचिव जगदीश मिश्रा कुछ दिन पहले लखनऊ आये थे मुख्य सचिव अनूप चंद पांडेय से मिलने विस्तृत चर्चा होने की खबरे सामने आईं थी। अब सवाल यही उठता है कि क्या प्रदेश के लाखों युवा प्रतियोगियों के भविश्व से खेलने की विस्तृत चर्चा हुई थी ?
आखिर क्यों पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार की तरह वर्तमान योगी आदित्यनाथ की सरकार में भी युवाओं के प्रतिभा के साथ नग्न तांडव किया जा रहा है? अगर आप सही हो तो कुछ कदम तो उठाइये सही दिशा में वर्ना वर्तमान और पूर्ववर्ती सरकार में आयोग को लेकर कोई अंतर नहीं है। युवा कल भी ठगा गया था आज भी ठगा जा रहा है। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग को लेकर ये सरकार भी उतनी ही निकम्मी दिख रही है जितनी पूर्ववर्ती सरकार निकम्मी दिखती थी। प्रदेश का युवा अपने समस्या का समाधान चाहता है न कि हवाहवाई बातें । आयोग की हठधर्मिता पर रोक लगाइए। जांच प्रक्रिया को अंतिम रूप तक पहुंचाइए। अगर कुछ ठोस नहीं हुआ तो आपका भी 2022 में वही हस्र होगा जो 2017 में पूर्ववर्ती सरकार का हुआ था । अभी समय है लाखों युवाओं की सुधि ले लीजिए वर्ना ये युवा अपना हिसाब किताब कायदे से चुकता करता है