आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का जन्मदिन है। उनका जन्मदिन 19 जून 1970 को नई दिल्ली में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के यहां हुआ था। वह अपने माता-पिता की दो संतानों में बड़े हैं और प्रियंका गांधी वाड्रा के बड़े भाई हैं। राहुल गांधी की दादी इंदिरा गांधी भारत की पूर्व प्रधानमंत्री थीं। वो एक भारतीय नेता और भारत की संसद के सदस्य हैं। अब तक वो भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा में उत्तर प्रदेश स्थित अमेठी लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते थे, इस बार वो वहां से चुनाव हार गए हैं। 16 दिसंबर 2017 को हुई औपचारिक ताजपोशी के बाद वो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी हैं।
नेहरू गांधी परिवार से संबंध
राहुल भारत के प्रसिद्ध गांधी-नेहरू परिवार से हैं। राहुल को 2009 के आम चुनावों में कांग्रेस को मिली बड़ी राजनैतिक जीत का श्रेय दिया गया है। उनकी राजनैतिक रणनीतियों में जमीनी स्तर की सक्रियता पर बल देना, ग्रामीण जनता के साथ गहरे संबंध स्थापित करना और कांग्रेस पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने की कोशिश करना प्रमुख हैं।
प्रारम्भिक जीवन
राहुल गांधी की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल में हुई है, इसके बाद वो प्रसिद्ध दून विद्यालय में पढ़ने चले गये, वहां पर राजीव गांधी ने भी पढ़ाई की थी। 1981-83 तक सुरक्षा कारणों के कारण राहुल गांधी को अपनी पढ़ाई घर से ही करनी पड़ी। राहुल ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के रोलिंस कॉलेज फ्लोरिडा से सन 1994 में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद सन 1995 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज से एम.फिल. की उपाधि प्राप्त की।
राहुल का राजनीतिक कैरियर
2003 में राहुल गांधी राष्ट्रीय राजनीति में आए। वह सार्वजनिक समारोहों और कांग्रेस की बैठकों में बस अपनी मां के साथ दिखाई दिए। एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट श्रृंखला देखने के लिए सद्भावना यात्रा पर अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ भी गए। जनवरी 2004 में राजनीति में उनके और उनकी बहन के संभावित प्रवेश के बारे में अटकलें बढ़ीं जब उन्होंने अपने पिता के पूर्व निर्वाचन क्षेत्र अमेठी का दौरा किया। उस समय उनकी मांं वहां से सांसद थीं। उन्होंने यह कह कर कि “मैं राजनीति के विरुद्ध नहीं हूं। मैंने यह तय नहीं किया है कि मैं राजनीति में कब प्रवेश करूंंगा और करूंगा भी या नहीं।” एक स्पष्ट प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया था।
मार्च 2004 में, मई 2004 का चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ उन्होंने भारतीय राजनीति में प्रवेश की घोषणा की, वह अपने पिता के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी से लोकसभा चुनाव के लिए खड़े हुए, जो भारत की संसद का निचला सदन है। इससे पहले, उनके चाचा संजय गांधी ने, जो एक विमान दुर्घटना के शिकार हुए थे, ने संसद में इसी क्षेत्र का नेतृत्व किया था। तब इस लोकसभा सीट पर उनकी मां थी। ये अटकलें लगाई गयीं कि भारत के सबसे मशहूर राजनीतिक परिवारों में से एक देश की युवा आबादी के बीच इस युवा सदस्य की उपस्थिति से कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक भाग्य को नया जीवन मिलेगा। उनकी उम्मीदवारी का स्थानीय जनता ने उत्साह के साथ स्वागत किया, जिनका इस क्षेत्र में इस गांधी-परिवार से एक लंबा संबंध था।
जनवरी 2006 में, हैदराबाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक सम्मेलन में, पार्टी के हजारों सदस्यों ने गांधी को पार्टी में एक और महत्वपूर्ण नेतृत्व की भूमिका के लिए प्रोत्साहित किया और प्रतिनिधियों के संबोधन की मांग की। उन्होंने कहा, “मैं इसकी सराहना करता हूं और मैं आपकी भावनाओं और समर्थन के लिए आभारी हूं, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि मैं आपको निराश नहीं करूंगा लेकिन उनसे इस बारे में धैर्य रखने को कहा और पार्टी में तुरंत एक उच्च पद लेने से मना कर दिया। राहुल और प्रियंका ने 2006 में रायबरेली में पुनः सत्तारूढ़ होने के लिए अपनी मां सोनिया गांधी का चुनाव अभियान हाथ में लिया, यहां वो आसानी से 4,00,000 मतों से अधिक अंतर के साथ जीती थीं। 2007 में प्रदेश के विधानसभा चुनावों के लिए एक उच्च स्तरीय कांग्रेस अभियान में उन्होंने प्रमुख भूमिका अदा की। राहुल गांधी को 24 सितंबर 2007 में पार्टी-संगठन के एक फेर-बदल में अखिल भारतीय कांग्रेस समिति का महासचिव नियुक्त किया गया था।