नई दिल्ली : राजस्थान के कोटा-बूंदी क्षेत्र से 56 वर्षीय सांसद ओम बिरला 17वीं लोकसभा में अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। वे कोटा से तीन बार विधायक व दो बार सांसद चुने गये हैं। शहर से गांवों की चौपाल तक हर समस्या में जनता के बीच खडे़ रहने वाले बिरला निचले सदन में हर वर्ग का प्रतिनिधित्व करेंगे। ओम बिरला का जन्म 4 दिसम्बर 1962 को राजस्थान के कोटा शहर में हुआ। पिता श्रीकृष्ण बिरला सहकारिता क्षेत्र से जुडे़ रहे। उनका विवाह 11 मार्च 1991 में डॉ. अमिता से हुआ। परिवार में दो पुत्रियां सीए आकांक्षा व अजली बिरला हैं। बिरला छात्र जीवन में कोटा शहर के सरकारी मल्टीपरपज स्कूल में छात्रसंघ अध्यक्ष रहे। उन्होंने गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज कोटा से 1986 में एमकॉम किया। कॉलेज में संयुक्त सचिव भी रहे।
2003 में जुझारू व्यक्तित्व के धनी ओम बिरला ने पहली बार कोटा दक्षिण से विधानसभा चुनाव लड़ा। वे 12वीं, 13वीं व 14वीं विधानसभा में 2013 तक लगातार तीन बार भाजपा विधायक रहे। उन्होंने 13वीं राजस्थान विधानसभा में सर्वाधिक 500 प्रश्न पूछे। वे सदन में सार्थक व प्रभावी बहस में हिस्सा लेते थे। 6 बार उनका नाम ’’सदन के सितारे’’ में शामिल किया गया। 2014 व 2019 में उन्होंने कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की। चुनौतियों और संघर्ष की राह पर वे मुस्काराते हुये आगे बढते रहे। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि सदन के सितारे को संसद में स्पीकर पद का सम्मान मिलने से देश के नवनिर्माण में वे अहम भूमिका निभाएंगे।
ओम बिरला सांसद बनने के बाद भी जनता से सीधा जुडाव रखते हैं। सामाजिक सरोकारों में उनकी गहरी रूचि रही। उन्होंने शहर में निर्धन एवं जरूरतमन्दों के तन ढकने के लिए निःशुल्क परिधान उपहार केन्द्र की शुरूआत की जिससे हजारों गरीबों को कडाके की सर्दी में गर्म कपडे़ मिल सके। जरूरतमन्दों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराने के लिये जनता के साथ मिलकर ”प्रसादम“ प्रकल्प प्रारंभ किया। कच्ची बस्तियों के गरीब व असहाय रोगियों को निशुल्क उपचार एवं दवाईयां उपलब्ध कराने के लिये ‘मेडिसिन बैेंक’ प्रकल्प की स्थापना की जो अनवरत जारी है। बिरला ने कोटा शहर की कच्ची बस्तियों में अस्थाई रहने वाले घुमन्तु जाति एवं निर्धन परिवार के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिये बस्ती में ही “मेरी पाठशाला” नामक पोर्टेबल स्कूल की स्थापना की। सर्दी में सड़क पर सोने वाले मजदूरों की मदद के लिये कोटा में आधुनिक रैन बसेरे बनाए। सरकारी अस्पतालों में रोगियों के तीमारदारों की मदद के लिए कम्बल निधि प्रकल्प बनाकर प्रतिवर्ष निशुल्क कंबल व बिस्तर वितरित किये जाते हैं।