वित्त वर्ष में टैक्स भरने के समय कई सारे वेतनभोगी कर्मचारी इस बात को लेकर दुविधा में रहते हैं कि टैक्स बचाने के लिए किन विकल्पों में निवेश किया जाए। टैक्स बचाने के लिए सोचने से पहले यह जानना जरूरी है कि आपको टैक्स स्लैब की जानकारी हो। हम ऐसी ही कुछ विकल्पों के बारे में बता रहे हैं जहां निवेश करके आप टैक्स की बचत कर सकते हैं। आयकर की धारा 80c के अलावा कई ऐसे अलाउंसेस हैं जो वेतनभोगी कर्मचारियों को टैक्स की देनदारियों से राहत देते हैं।
सेक्शन 80C, 80CC और 80CCD: सेक्शन 80C के जरिए करदाता जीवन बीमा, बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट, ट्यूशन फीस, सुकन्या समृद्धि योजना, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, पेंशन फंड में निवेश करके टैक्स की बचत कर सकते हैं। करदाता सेक्शन 80C, 80CC और 80CCD के तहत 1।5 लाख रुपये तक के छूट का दावा कर सकते हैं।
पीपीएफ: PPF का निवेश EEE यानी एक्सजेम्प्ट-एक्सजेम्प्ट-एक्सजेम्प्ट कैटेगरी में टैक्स फ्री होता है। यानी निवेश की गई रकम कर मुक्त आय की श्रेणी में जाएगी। मिलने वाला ब्याज भी टैक्स फ्री होगा और मैच्योरिटी पर मिलने वाली रकम भी पूरी तरह टैक्स फ्री होगी।
नेशनल पेंशन सिस्टम– एनपीएस खाते दो तरह के होते हैं। NPS Tier-I खाता लॉक-इन अवधि वाला खाता है जबकि NPS Tier-II खाता एक वैकल्पिक खाता है जिसमें कोई लॉक-इन अवधि नहीं है। ग्राहक आयकर अधिनियम की धारा 80 सीसीडी (1) धारा 80 सीसीडी (1 बी) के तहत कुल मिलाकर 2 लाख रुपये की कटौती का लाभ उठा सकते हैं। यह रिटायरमेंट फंड बनाने में मदद करता है।
हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम– व्यक्ति आयकर की धारा 80D के तहत टैक्स को बचा सकता है। यदि मेडिकल इंश्योरेंस पति या बच्चों के लिए खरीदा जाता है, तो अधिकतम 25,000 कटौती का दावा किया जा सकता है। हालांकि, यदि करदाता के माता-पिता को कवर किया गया है और वे 60 वर्ष की आयु से अधिक के हैं, तो 30,000 रुपये तक की कर कटौती का दावा किया जा सकता है।