नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में शनिवार को नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री ने गरीबी, बेरोजगारी, सूखा, बाढ़, प्रदूषण, भ्रष्टाचार और हिंसा से मिलकर लड़ने का आह्वान किया। अपने ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के मंत्र को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य और केंद्र मिलकर कई बड़े लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। इस दौरान कुछ राज्यों ने विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग की। नीति आयोग की संचालन परिषद की पांचवी बैठक शनिवार को राष्ट्रपति भवन में हुई। बैठक के बाद आयोजित प्रेस वार्ता में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि तीन मुख्यमंत्री आज की बैठक में शामिल नहीं हुए। इनमें से एक जर्मनी गए हुए हैं। एक स्वस्थ्य नहीं है और एक ने बैठक में शामिल होने से इनकार किया है। राजीव कुमार ने बताया कि इस दौरान प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में बड़े बदलाव लाने के लिए एक उच्च स्तरीय कार्य बल तैयार करने की घोषणा की है। वह जल्द ही तैयार होगा और इस संबंध में रिपोर्ट दो से तीन महीनों में दी जाएगी।
नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि राज्यों ने आपदा मोचन बल से जुड़े फंड के नीति निर्देशों में बदलाव करने का आग्रह किया है। इस संबंध में गृह मंत्रालय और कृषि मंत्रालय से बातचीत की जा रही है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वन कानूनों से जुड़े कुछ मुद्दों में बदलाव की मांग की। गोवा और अन्य राज्यों ने उनके राज्यों में खनन उत्पादन में आई कमी का मुद्दा उठाया।बैठक में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी ने केंद्र में ऋण में डुबे उनके राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग की और केन्द्र से आग्रह किया कि वह प्रदेश के विभाजन के समय किए गए वादों को पूरा करें। उन्होंने कहा कि राज्य की लाइफ लाइन के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाना बेहद जरूरी है।
केरल के मुख्यमंत्री पर पिन्नारी विजयन ने कहा कि नीति आयोग ने आशा के अनुरूप रोल नहीं निभाया है। पिछले चार साल में वह पिछली योजना आयोग का स्थान नहीं ले पाया है। उन्होंने कहा कि पहले के 25 प्रतिशत के मुकाबले अब राज्यों को केंद्र की योजनाओं में 40 प्रतिशत योगदान देना पड़ता है जिससे राज्यों का बजटीय घाटा बढ़ा है। उन्होंने कहा कि योजना आयोग को नीति आयोग में बदलने से केरल जैसे राज्यों को नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि अब उन्हें 5 सालों के लिए फंडिंग नहीं मिल पा रही है। उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग उठाई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी शनिवार को विशेष राज्य दर्जा दिए की मांग की। नीतीश कुमार ने कहा कि इससे केंद्र प्रायोजित योजनाओं का अंशदान बढ़ेगा और राज्य के पास अपने संसाधनों का उपयोग करने के बेहतर अवसर होंगे जिससे समाज कल्याण की योजनाओं को ज्यादा लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य की आर्थिक विकास दर 10 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय दर से अधिक है इसके बावजूद राष्ट्रीय में प्रति व्यक्ति आय काफी कम है।