शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक में शुक्रवार को आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को दोहरा झटका लगा। पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर उस पर जमकर निशाना साधा। उसके तकरीबन दो घंटे बाद सभी आठ सदस्य देशों की तरफ से जारी बिश्केक घोषणापत्र में सीमा पार से आतंकवाद को दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौतियों के तौर पर रखा गया।
एससीओ की बैठक में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ एक ही मंच पर बैठे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद को प्रोत्साहन, समर्थन और वित्तीय मदद प्रदान करने वाले राष्ट्रों को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए हर मानवतावादी को अपने संकीर्ण दायरे से बाहर निकलना होगा।’ उन्होंने आतंकवाद से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के एक सम्मेलन का भी आह्वान किया। आतंकवाद के अलावा भारतीय प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान के मुद्दे को भी जोर-शोर से उठाया।
सम्मेलन के बाद सदस्य देशों की तरफ से जारी घोषणापत्र में हर तरह के आतंकवाद की कड़ी निंदा की गई और कहा गया कि किसी भी तर्क से आतंकवाद को जायज नहीं ठहराया जा सकता। इसमें भारत की एक पुरानी मांग का समर्थन करते हुए संयुक्त राष्ट्र की अगुआई में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग स्थापित करने का आह्वान किया गया। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर एक समग्र समझौते को स्वीकार करने के आह्वान के साथ यह भी कहा गया कि इसमें हर देश की संप्रभुता और स्वतंत्रता का आदर होना चाहिए। घोषणापत्र में आतंकवाद और इसके पीछे की सोच का खात्मा करने के लिए भी सहमति बनाने की बात कही गई।
आतंकवाद मुक्त समाज बनाएं
पीएम मोदी ने एससीओ के गठन के उद्देश्यों व आदर्शो पर प्रकाश डालते हुए आतंकवाद से मुकाबले में सहयोग को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद मुक्त समाज का हिमायती है। मोदी ने कहा, ‘पिछले रविवार को श्रीलंका यात्रा के दौरान मैं सेंट एंथोनी चर्च गया। वहां मैंने आतंक का घिनौना चेहरा देखा। आतंकवाद सब दूर निर्दोष लोगों की जान लेता है।
इस बुराई से निपटने के लिए देशों को अपने संकीर्ण सोच से बाहर निकल कर एकजुट होना पड़ेगा। जो देश आतंकवाद के प्रायोजक, मददगार व वित्तीय मदद करते हैं, उन्हें जिम्मेदार बनाना पड़ेगा।’ पीएम मोदी ने श्रीलंका दौरे का जिक्र इसलिए किया क्योंकि अप्रैल में ईस्टर संडे को वहां हुए भयावह आतंकी हमले में 258 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी।
पीएम के भाषण के वक्त रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान व ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी व अन्य नेता मौजूद थे। उन्होंने एससीओ अफगानिस्तान कांटेक्ट ग्रुप के गठन का स्वागत किया।
मोदी ने दिए अहम सुझाव
1. एससीओ के सदस्य देश आतंकवाद से निपटने के लिए रीजनल एंटी टेरेरिस्ट स्ट्रक्चर (रैट्स) के तहत सहयोग करें।
2. एससीओ के नेता आतंकवाद पर वैश्विक सम्मेलन का आयोजन करें।
3. एससीओ की स्थिरता व सुरक्षा के लिए अफगानिस्तान को शांतिपूर्ण, एकजुट व समृद्ध बनाएं।
चीन के नेतृत्व वाला आठ देशों का संगठन है एससीओ
-भारत व पाकिस्तान एससीओ को दो साल पहले ही पूर्णकालिक सदस्य बने हैं।
-यह चीन के नेतृत्व में बना आठ देशों का संगठन है।
-सदस्य देशों में भारत, पाक, चीन, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस व उज्बेकिस्तान व ताजिकिस्तान हैं।
-इसका मकसद क्षेत्रीय आर्थिक विकास व सुरक्षा है।
बिश्केक घोषणा पत्र में आतंकवाद की निंदा
भारत समेत एससीओ के अन्य देशों ने बिश्केक घोषणापत्र में आतंकवाद के हर रूप की एक स्वर से निंदा की है। साथ ही विश्व समुदाय से आह्वान किया कि वह इस बुराई से निपटने में सहयोग बढ़ाए। घोषणा-पत्र में कहा गया है कि एससीओ के सभी देशों के शासन प्रमुखों का मानना है कि आतंकवादी व उग्रवादी कृत्यों को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता।
इमरान की किरकिरी, पहले बैठे रहे, खड़े हुए पर फिर बैठ गए!
पाक पीएम इमरान खान ने प्रोटोकॉल तोड़कर अपनी किरकिरी करा दी। इसके लिए उन्हें सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है। गुरुवार को शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान जब विभिन्न राष्ट्राध्यक्ष सम्मेलन हॉल में प्रवेश कर रहे थे, तब सभी लोग उनके स्वागत में खड़े हो गए लेकिन इमरान अपनी सीट पर बैठे रहे।
इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया गया है। इसमें दिख रहा है कि प्रधानमंत्री इमरान को जब यह लगा कि सिर्फ वही बैठे हैं तो वह थोड़ी देर के लिए खड़े हो गए लेकिन दूसरों के बैठने से पहले ही वह अपनी सीट पर बैठ गए। इस पर सोशल मीडिया में उन्हें खूब ट्रोल किया गया।
इमरान ने अलापा कश्मीर राग
सम्मेलन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान कश्मीर राग अलापने से नहीं चूके। दक्षिण एशिया में शांति बहाली का आह्वान करते हुए इमरान खान ने कहा, ‘इस क्षेत्र में तनाव को सहयोग में बदलने की जरूरत है क्योंकि इसके बगैर यहां शांति और समृद्धि नहीं आ सकती।
यहां राजनीतिक मतभेद दूर करने और लंबित मुद्दों को सुलझाना भी क्षेत्रीय शांति के लिए बहुत जरूरी है।’ इसके बाद उन्होंने हर तरह के आतंकवाद की निंदा की, लेकिन यह भी कहा, ‘वह गैरकानूनी तरीके से जब्त किए गए क्षेत्र में लोगों के खिलाफ सरकार समर्थित आतंकवाद की भी निंदा करते हैं।’
रूहानी और मोदी की नहीं हो पाई मुलाकात
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी के बीच निर्धारित मुलाकात नहीं हो पाई। कार्यक्रम में फेरबदल के कारण एससीओ शिखर वार्ता से इतर होने वाली दोनों नेताओं की बैठक टाल दी गई।विदेश मंत्रालय द्वारा तय कार्यक्रम के मुताबिक, स्थानीय समयानुसार 3:35 पर मोदी और रूहानी की मुलाकात निर्धारित थी। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के नेताओं के लिए भोज का समय बढ़ा दिया गया इसीलिए दोनों नेता नहीं मिल पाए।