भाजपा की सहयोगी पार्टी जनता दल (युनाइटेड) ने तत्काल तीन तलाक बिल का विरोध किया है। यह विधेयक नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से आगामी संसद सत्र में रखा जाना है। इसके बावजूद जेडीयू ने अपना विरोध दर्ज करते हुए कहा है कि व्यापक विचार-विमर्श के बगैर कोई भी विचार मुसलमानों पर थोपा नहीं जाना चाहिए।
जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी ने शुक्रवार को बयान जारी करके कहा कि जेडीयू यूनिफार्म सिविल कोड पर अपने पुराने रुख कायम है। हमारा देश कानून के सम्मान और विभिन्न धर्मो व पारंपरिक समूहों के सिद्धांतों के बीच नाजुक संतुलन बनाए रखने पर आधारित है।
हालांकि इस बयान में तत्काल तीन तलाक का सीधे तौर पर नाम नहीं लिया गया लेकिन जेडीयू के सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित विधेयक को लेकर केंद्र का रुख यूनिफार्म सिविल कोड वाला है। चूंकि भाजपा ने मुस्लिम महिलाओं को अवैध तरीके से तलाक दिए जाने को अपराध घोषित करने का एलान किया है।
यह विभिन्न धर्म को मानने वालों के बीच यूनिफार्म सिविल कोड को ही आगे बढ़ाने का एक कदम है। वैसे भी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान भी इस बिल का विरोध किया था।
केसी त्यागी ने कहा कि हमारे विचार से सिविल कोड पर विभिन्न धर्म समूहों के बीच और गहराई से विचार-विमर्श की जरूरत है। मौजूदा धार्मिक रीतियों जैसे शादी, तलाक, बच्चा गोद लेना, पैतृक संपत्ति के अधिकार जैसे जटिल व संवेदनशील मुद्दों पर जल्दबाजी में कोई कदम उठाना ठीक नहीं होगा। जेडीयू मांग करता है कि कानून को और व्यापक और स्वीकार्य बनाने के लिए हरेक पक्ष को विश्वास में आगे लेकर बढ़ा जाए।