मध्य प्रदेश सरकार ने विंध्य पर्वत शृंखला में धारकुंडी आश्रम के पास बने कुंड को धरोहर बनाने की कवायद शुरू की

प्रभु श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट की सीमा से सटे मध्य प्रदेश के सतना जिला अंतर्गत सतपुड़ा के पठार की विंध्य पर्वत शृंखला में धारकुंडी आश्रम के बगल में स्थित महाभारत काल का अघमर्षण कुंड अब धरोहर बनेगा। आश्रम के संत श्रीसच्चिदानंद परमहंस धारकुंडी महाराज की पहल पर मध्य प्रदेश सरकार की इस ओर निगाह पड़ी। इसके बाद पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कदम बढ़ाए हैं, जिससे संरक्षण के साथ पर्यटन विकास की उम्मीद जगी है।

यह है अघमर्षण कुंड की कहानी

धारकुंडी आश्रम के सेवादार स्वामी संजय बाबा बताते हैं, महाभारत के वन पर्व में अघमर्षण कुंड का वर्णन मिलता है। इस शब्द का उल्लेख ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी हुआ है। अघमर्षण ऋषि थे, जिनके तपोबल से यह कुंड बना। इसमें पहाड़ों के औषधीय पौधों से टकराते हुए निरंतर जल आता है। धर्मराज युधिष्ठिर और यक्ष संवाद यही हुआ, जिसमें खुश होकर यक्ष ने उनके मृत भाइयों को जीवित कर दिया था। मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव चित्रकूट के सती अनुसुइया आश्रम जंगल में रहे। यह कुंड भूतल से करीब 100 मीटर नीचे है। पास स्थित धारकुंडी आश्रम पर्वत की कंदराओं के साधना स्थल, दुर्लभ शैल चित्र, पहाड़ों से अनवरत बहती जल धारा और जंगल इसे अनुपम बनाते हैं।

जानिए रविवार सप्तमी स्नान की मान्यता

चित्रकूट के धार्मिक स्थलों के अध्ययनकर्ता आनंद स ह पटेल के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद बंधु-बांधव के वध के बाद शुद्धि के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों को इसी कुंड में रविवार सप्तमी को स्नान करने की सलाह दी थी। अपने जीवनकाल में रविवार सप्तमी न मिलने पर पांडव श्राप ने दिया कि कलियुग में प्रतिवर्ष एक से दो बार ही रविवार सप्तमी होगी। रविवार सप्तमी पर यहां काफी भीड़ होती है।

श्रद्धालुओं का पहुंचना होगा आसान

धारकुंडी आश्रम चित्रकूट जिले के कर्वी मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर है। मानिकपुर से मारकुंडी रोड पर रानीपुर वन्य जीव विहार के बीच से होकर रास्ता गुजरता है। अभी धारकुंडी पहुंचने में यूपी सीमा क्षेत्र में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यहां के संरक्षण व विकास से श्रद्धालुओं का पहुंचना आसान होगा। मध्यप्रदेश जबलपुर पुरातत्व विभाग के उपनिदेशक पीसी मोहबिया का कहना है कि धारकुंडी आश्रम स्थित अघमर्षण कुंड का पौराणिक महत्व है। यह संरक्षित स्थल नहीं है लेकिन पर्यटन विभाग यहां श्रद्धालुओं के लिए बेहतर इंतजाम कराएगा।

ये विकास कार्य होंगे

कुंड की सीढिय़ों की मरम्मत।

कुंड में आने वाली जलधारा का संरक्षण।

पहाड़ी की तरफ सेल्फी प्वाइंट।

महत्ता बताने को अलग-अलग बोर्ड।

यूपी क्षेत्र से पहुंचने को सड़क निर्माण।

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