भारत की विदेश नीति पर चल रहा मालदीव : मोहम्मद सोलिह
माले (मालदीव) : भारत और मालदीव ने हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों देश अपने क्षेत्र का उपयोग एक दूसरे के हितों के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूसरे कार्यकाल की मालदीव की पहली विदेश यात्रा के बाद जारी एक संयुक्त वक्तव्य में दोनों देशों ने हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और सुरक्षा कायम करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने का फैसला किया। दोनों देश इस बात पर सहमत थे कि हिन्द महासागर में नौवहन पर निगरानी रखने और समुद्री गश्त के संबंध में मिलकर काम किया जाएगा। दोनों देश आतंकवाद, समुद्री डकैती, संगठित अपराध और मानव तस्करी के संबंध में आपसी सहयोग बढ़ाएंगे। दोनों देशों ने आतंकवाद और मजहबी उग्रवाद का सामना करने के लिए एक संयुक्त कार्यदल गठित करने का भी फैसला किया।
भारत और मालदीव ने कहा कि दोनों देशों के सुरक्षा हित एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं तथा वह एक दूसरे की चिंताओं और अपेक्षाओं का ख्याल रखेंगे। हिन्द महासागर में गैर-सैनिक जलयानों के आवागमन के बारे में सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए दोनों देशों ने ‘व्हाइट शिपिंग इन्फॉरमेशन’ एक तकनीकी समझौता किया। नौवहन के क्षेत्र में गैर-सैन्य जलयानों को व्हाइट शिपिंग, सैन्य जलयानों को ग्रे-शिपिंग और गैर कानूनी जलयानों को ब्लैक शिपिंग कहा जाता है। दोनों देशों ने समुद्री सर्वेक्षण, स्वास्थ्य, समुद्री यात्रा एवं कार्गो सेवा, सीमा शुल्क सेवा और प्रशासनिक सुधारों के बारे में करारों पर भी हस्ताक्षर किए। मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह ने कहा कि उनका देश ‘सबसे पहले भारत’ की विदेश नीति पर चल रहा है। मालदीव आपसी समझदारी और एक दूसरे की संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाएगा। मालदीव की संसद मजलिस को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि वह एक लोकतांत्रिक और न्यायसंगत विश्व व्यवस्था के पक्ष में है तथा हिन्द महासागर में सतत शांति और विकास चाहते हैं। मालदीव की संसद के 86 वर्ष के इतिहास में मोदी दूसरे विदेशी नेता है जिन्होंने संसद को संबोधित किया है।