लखनऊ। होम्योपैथ चिकित्सकों ने केन्द्र सरकार से देश में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के विकास को प्राथमिकता देने की अपील की है। रिसर्च सोसाइटी ऑफ होम्योपैथी के सचिव एवं केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के पूर्व सदस्य डॉ. अनुरुद्ध वर्मा ने प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं आयुष मंत्री को भेजे पत्र में होम्योपैथी को केन्द्रित कर नीतियां बनाने की मांग की है। उन्होंने भेजे पत्र में कहा है कि भारत में वर्तमान में प्रचलित चिकित्सा पद्धतियों में होम्योपैथी पद्धति सबसे सरल, सुलभ, दुष्पारिणाम रहित, अपेक्षाकृत कम खर्चीली एवं सम्पूर्ण स्वास्थ्य प्रदान करने वाली एक मात्र पद्धति है। इसलिए भारत जैसे जनसंख्या बहुल एवं विकासशील देश में एलोपैथी जैसी खर्चीली एवं ज्यादा संसाधनों की आवश्यकता वाली पद्धति से सभी को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की सुविधायें उपलब्ध करा पाना संभव नहीं है।
जबकि होम्योपैथी पद्धति के माध्यम से कम खर्च एवं अल्प संसाधनों में देश की जनता को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की सुविधायें आसानी से उपलब्ध करायी जा सकती हैं। ऐसी स्थिति में एलोपैथी पर आधारित स्वास्थ्य नीतियों के निर्धारण के स्थान पर होम्योपैथी को केन्द्रित कर नीतियां बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में होम्योपैथी को पर्याप्त स्थान दिये जाने, केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद को अधिकार सम्पन्न संस्था बनाने, होम्योपैथी के विकास के लिए स्थायी केन्द्रीय एवं राज्य होम्योपैथिक विकास नीति बनाये जाने की मांग की है। इसके अलावा होम्योपैथी को विकास के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य बजट का कम से कम 30 प्रतिशत बजट योजना आयोग से सीधे आवंटित किये जाने की अपील की गई है।