जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर अब ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए काम करेंगे और पश्चिम बंगाल में बीजेपी के खिलाफ चुनावी रणनीति बनाएंगे। एक न्यूज चैनल के मुताबिक प्रशांत किशोर ने टीएमसी के साथ अगले विधानसभा चुनाव में काम करने का समझौता कर लिया है।
प्रशांत किशोर ने बाकायदा टीएमसी के साथ कांट्रैक्ट भी साइन किया है और आने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में वे बतौर रणनीतिकार ममता बैनर्जी के लिए काम करेंगे। जाहिर है प्रशांत किशोर के इस फैसले के बाद एक अहम सवाल भी खड़ा हो रहा है।
तो क्या नीतीश ने प्रशांत को सहमति दे दी है…
सवाल ये कि क्या इसके लिए जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नीतीश कुमार ने भी प्रशांत किशोर को सहमति दे दी है? दरअसल ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि कुछ दिन पहले ही प्रशांत किशोर ने पटना और दिल्ली में नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। इसके बाद ही प्रशांत किशोर के ममता बनर्जी के लिए काम करने की खबरें सामने आईं हैं।
जदयू ने कहा-पार्टी के पद पर रहते हुए संभव नहीं
गुरुवार को जदयू प्रवक्ता अजय आलोक ने एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा कि प्रशांत किशोर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं और ऐसे में इस तरह की कोई भी बात बिना राष्ट्रीय अध्यक्ष की इजाजत के संभव नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा कि वैसे जेडीयू को इस बात की अभी तक कोई जानकारी नहीं है।
अजय आलोक ने कहा कि व्यक्तिगत तौर पर कोई भी किसी को सलाह दे सकता है, लेकिन पार्टी के पद पर रहते हुए ये संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो इसके लिए पार्टी की कार्यसमिति और खुद राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार आगे तय करेंगे।
बता दें कि इससे पहले प्रशांत किशोर पीएम मोदी, जेडीयू, यूपी विधानसभा चुनाव में एसपी और कांग्रेस, पंजाब कांग्रेस और वाईएसआर कांग्रेस के लिए भी रणनीति बनाने का काम कर चुके हैं।
आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस को प्रशांत ने दिलायी सफलता
गौरतलब है कि हाल में ही प्रशांत किशोर और उनकी टीम ने आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के लिए रणनीति बनाई थी और इसमें उन्हें जबरदस्त सफलता भी हासिल हुई थी। आंध्र में जहां जगन मोहन रेड्डी अपार बहुमत के साथ मुख्यमंत्री बने। वहीं, उनकी पार्टी 25 लोकसभा सीटों में 22 पर जीतने में कामयाब रही। जिसके बाद प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर अपनी टीम को बधाई भी दी थी।
ममता को इसलिए भाये प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर ने कई राज्यों में अन्य राजनीतिक दलों के लिए एक रणनीतिक विशेषज्ञ के रूप में काम किया है, इसलिए टीएमसी उन्हें अपने साथ लाना चाहती है। बताया जा रहा है कि टीएमसी यह जानना चाहती है कि लोकसभा चुनाव में क्या गलत हुआ है? इसके साथ ही आगामी नगरपालिका चुनाव और आने वाले विधानसभा चुनावों में संभावित नुकसान को किस तरह रोका जाए? इसके लिए क्या रणनीति हो? इसपर विचार किया जाएगा।
इसके अलावा टीएमसी के किए गए विकास कार्यों को जनता तक कैसे पहुंचाया जाए इसपर भी बात होनी है।टीएमसी और राज्य प्रशासन का मानना है कि मोदी सरकार के पास अच्छे कम्युनिकेशन कौशल के कारण सत्ता में वापस आ पाई, जिसका टीएमसी के पास अभाव था।