जम्मू और कश्मीर पुलिस के दो स्पेशल पुलिस ऑफीसर (एसपीओ) हथियारों के साथ फरार हो गए हैं. दोनों एसपीओ की तैनाती पुलवामा पुलिस लाइंस में थी. सुरक्षाबलों से जुड़े सूत्रों के अनुसार, दोनों एसपीओ हथियार के साथ गुरुवार शाम पुलवामा पुलिस लाइंस से निकले थे. देर रात तक वापस नहीं आने पर, इन दोनों एसपीओ की तलाश शुरू की गई. अभी तक दोनों एसपीओ के बारे में पुलिस को कोई सूचना नहीं मिली है. इस मामले में पुलवामा जिला पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर अपनी जांच शुरू कर दी है. वहीं, आतंकियों के साथ मिल जाने की आशंकाओं को देखते हुए सुरक्षाबलों ने दोनों स्पेशल पुलिस ऑफीसर्स की तलाश शुरू कर दी है.
सुरक्षाबल से जुड़े सूत्रों के अुनसार, सर्विस राइफल के साथ लापता हुए दोनों स्पेशल पुलिस ऑफिसर्स की पहचान सुलेमान खान और शाबिर अहमद डार के तौर पर हुई है. सुलेमान खान मूल रूप से शोपियां के उथमुल्ला इलाके का रहने वाला है, जबकि दूसरा एसपीओ शाबिर अहमद डार पुलवामा के तुजान इलाके का रहने वाला है. गुरुवार को दोनों की तैनात पुलवामा पुलिस लाइन में थी. गुरुवार देर शाम एसपीओ सुलेमान खान और शाबिर अहमद खान अपनी सर्विस राइफल के साथ पुलिस लाइन से निकले थे. जिसके बाद, वे पुलिस लाइन वापस नहीं आए. उधर, इन घटना के बाद घाटी में चर्चा है कि दोनों एसपीओ आतंकियों के साथ जा मिले हैं. हालांकि अभी तक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.
पहले भी सात एसके-47 राइफल्स के साथ फरार हो चुके है एसपीओ
जम्मू और कश्मीर में यह पहला मामला नहीं है, जब संदिग्ध हालात में जम्मू-कश्मीर पुलिस के एसपीओ गायब हुए हों. इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर पुलिस का एक एसपीओ आतंकियों से जा मिला था और उसने पीडीपी के पूर्व विधायक के घर से सुरक्षाकर्मियों की सात एके-47 राइफल और एक पिस्टल हिजबुलमुजाहिद्दीन के आतंकियों के हवाले कर दी थी. सितंबर 2018 में हुई इस वारदात को घाटी के मोस्ट वांटेड आंतकी रियाज नायकू के इशारे पर अंजाम दिया गया था. गुरुवार को ही, नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) ने इस मामले की चार्जशीट जम्मू की स्पेशल एनआईए कोर्ट में दाखिल की है. इस मामले में दिसंबर 2018 में एनआईए ने एक आतंकी को गिरफ्तार किया था. जबकि इस वारदात में शामिल दो आतंकियों को मुठभेड़ में मारा जा चुका है.
आवाम से संवाद और इंटेलीजेंस इनपुट के लिए भर्ती किए जाते हैं एसपीओ
स्पेशल पुलिस ऑफिसर (एसपीओ) की तैनाती जम्मू-कश्मीर पुलिस के द्वारा की जाती है. एसपीओ को भर्ती करने का मकसद आतंक विरोधी अभियान में सुरक्षाबलों की मदद करना, इंटेलीजेंस इनपुट उपलब्ध कराया, लॉ एण्ड आर्डर में सुरक्षा बलों की मदद करने के साथ आवाम से बेहतर संवाद स्थापित करना होता है. बेहतरीय प्रदर्शन करने वाले एसपीओ को जम्मू-कश्मीर पुलिस पदोन्नत कर विभाग में कांस्टेबल के तौर पर भी भर्ती करती है. घाटी में एसपीओ के सराहनीय कार्यों को देखते हुए हाल में गृहमंत्रालय ने उनके वेतनमान में बढ़ोत्तरी भी थी.