डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड 19 महीने के निचले स्तर पर आ गया है. आज शुरुआती कारोबार में रुपये में 30 पैसे की कमजोरी देखी गई. इसी के साथ डॉलर के मुकाबले रुपया 68.54 रुपये पर आ गया. डॉलर के मुकाबले रुपये की यह 29 नवंबर 2016 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है. आर्थिक जानकारों के मुताबिक, आयातकों (इम्पोर्टर्स) और बैंकों द्वारा डॉलर की अधिक मांग की वजह से रुपया फिसला.
मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 11 पैसे कमजोर होकर 68.24 के स्तर पर बंद हुआ था. सोमवार को रुपया 29 पैसे गिरकर 68.13 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था. फॉरेक्स मार्केट से जुड़े कारोबारियों ने कहा कि अन्य प्रमुख विदेशी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती से रुपये पर दबाव रहा. हालांकि घरेलू शेयर बाजार की शुरुआती बढ़त ने गिरावट को थामने का प्रयास किया. इस बीच , बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स इंडेक्स आज शुरुआती कारोबार में 53.85 अंक यानी 0.15 प्रतिशत बढ़ाकर 35,543.89 अंक पर पहुंच गया.
आपकी जिंदगी पर क्या पड़ेगा असर?
रुपये की गिरावट से महंगाई का बढ़ना तय माना जाता है. दरअसल, इंपोर्ट होने वाला सामान डॉलर वैल्यू पर खरीदा जाता है. ऐसे में अगर रुपया कमजोर होता है तो इंपोर्ट पर खर्च बढ़ जाता है. खास तौर पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों में भी बढ़ोतरी होती है. रुपए के कमजोर होने से कार, कंप्यूटर, स्मार्टफोन जैसी वो तमाम चीजें महंगी होती है जो आयातित (इम्पोर्टेड) उपकरणों से बनते हैं.
डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट से विदेश में पढ़ाई कर रहे छात्रों को अधिक जेब ढीली करनी पड़ती है. डॉलर के महंगा होने और रुपये के गिरने से घरेलू शेयर बाजार में गिरावट देखी जा सकती है क्योंकि विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकालकर अमेरिका जैसे देशों में डाल सकते हैं जहां उन्हें डॉलर में ज्यादा कमाई मिलने वाली है.