वाराणसी : लोक सेनानी और भारतीय जनता पार्टी के जुझारू कार्यकर्ता राजकिशोर सिंह का पैतृक गांव बिहार रामगढ़ के लबेदहान गांव में शनिवार की देर रात हृदय गति रूक जाने से निधन हो गया। वे पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। रविवार को उनका पार्थिव शरीर पैतृक गांव से वाराणसी मोक्ष तीर्थ मणिकर्णिकाघाट पर लाया गया जहां उन्हें भाजपा और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े नेताओं ने श्रद्धाजंलि दी। अन्तिम दर्शन करने वालों में एमएलसी केदार नाथ सिंह, महेंद्र नाथ सिंह, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अशोक पाण्डेय, वरिष्ठ नेता सुधीर मिश्र, सूबेदार सिंह सुभाष सिंह, दीपक सिंह, विनय सिंह चकिया, देवेंद्र सिंह, विजय प्रताप सिंह आदि शामिल रहे। घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि की गयी। मुखाग्नि छोटे भाई काशीनाथ सिंह ने दी। उनकी पत्नी का वर्षों पहले ही निधन हो चुका है।
राजकिशोर सिंह अपने पैतृक गांव से काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिए वाराणसी आये और यहीं के होकर रह गये। वह वाराणसी में अध्ययन के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सम्पर्क में आये। यहीं उनकी मुलाकात वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय सहित संगठन के तत्कालीन दिग्गज पदाधिकारियों से हुई। वाराणसी में प्रवास के दौरान वह प्रातः असी स्थित पप्पू चाय वाले की दुकान तो सायंकाल लंका स्थित टण्डन चायवाले की दुकान पर राजनीतिक विमर्श, हास परिहास अपने दोस्तों के साथ करते थे। राजकिशोर सिंह इमरजेंसी के दौर में लम्बे समय तक जेल में बंद रहे। वह भाजपा नेता सुरेश अवस्थी, पूर्व रेल राज्यमंत्री मनोज सिंहा, सांसद स्व. लालमुनि चौबे, सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त, जगदानन्द सिंह जैसे दिग्गजों के बेहद करीबी रहे।