इन दिनों जलसंकट से परेशान लोगों की कहानियां आम हैं। ऐसे में करीब 400 फीट ऊंची पहाड़ी पर पानी की अविरल धार और लबालब कुंड की कहानी सुनना राहतभरा हो सकता है। भोपाल-जबलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग-12 पर बसे ग्राम पीपरपानी पान से दो किमी दूर मृगेंद्रनाथ धाम पर ऐसा ही एक अनूठा कुंड है। इसमें पहाड़ी की एक रहस्यमय गुफा से बारह महीने पानी की धार निकलती रहती है। कितनी भी भीषण गर्मी हो या कितना भी पानी उपयोग हो, इस कुंड का पानी खत्म नहीं होता है। रोचक यह भी है कि कई प्रयासों के बाद भी यह पता नहीं चल पाया है कि गुफा में पानी कहां से आ रहा है।
सघन वन वाली पहाड़ी पर बने मृगेंद्रनाथ मंदिर और कुंड से करीब 400 फुट नीचे 2 किमी की दूरी पर पीपरपानी पान गांव बसा है। यहां स्थित प्राकृतिक कुंड और उसमें गुफा से निरंतर आने वाली पानी की धार किसी रहस्य से कम नहीं है। मंदिर में करीब 10 वर्षों से साधनारत इंदौर के बरलाई गांव में जन्मे अखंड चैतन्य बापू कहते हैं कि पानी की धार वाली गुफा का रहस्य जानने के लिए काफी समय पहले कुंड में तीन पंप लगाकर पानी खाली करने का प्रयास किया गया था लेकिन पानी खत्म नहीं हुआ।
कुछ लोगों ने गुफा में प्रवेश करने की कोशिश भी की लेकिन गुफा इतनी संकीर्ण है और अंधेरी है कि कुछ दूर जाकर लोगों को लौटना पड़ा। एक किंवदंती यह भी है कि यह गुफा करीब 36 किमी लंबी है और यहां से 36 किमी दूर रीछई के जंगल में पहाड़ी पर ही स्थित मृगेंद्रनाथ मंदिर पहुंचती है। इस पानी में स्नान से चर्म रोग जैसे कई असाध्य रोगों से निजात मिलने का दावा भी करते हैं।
प्रकृति नहीं आने देती पानी का संकट
गुफा से बहती अविरल जलधारा से पानी यहां बने प्राकृतिक कुंड में जमा होता है। मोटर पंप के जरिए इसका उपयोग मंदिर में रहने वाले संत, आने वाले श्रद्धालु करते है। पहले कुंड प्राकृतिक रूप में था जिसे बाद में चारों तरफ से सीमेंट-क्रांकीट से व्यवस्थित करवाया गया। इस दौरान यह भी ध्यान रखा गया कि गुफा के जरिए जहां से पानी आ रहा है वह स्थान प्रभावित न हो। कुंड में मछलियां, कछुआ भी तैरते दिखते हैं। मृगेंद्रनाथ धाम से वर्षों से जुड़े ग्राम गुटौरी के नरेश शुक्ला व ढिगसरा के धर्मेश शर्मा कहते हैं कि पहाड़ी के इर्द-गिर्द प्राचीन कुंड के अलावा अन्य कोई जलस्रोत नहीं है। आसपास के स्थानों पर जहां गर्मी में पानी का बहुत संकट रहता है। इस कुंड में पर्याप्त मात्रा में पानी रहता है।