अन्तर्राष्ट्रीय न्यायाधीश सम्मेलन में प्रतिभाग हेतु अंगोला जायेंगे डा. जगदीश गांधी

उद्घाटन सत्र में अफ्रीकी न्यायालयों के न्यायाधीशों को करेंगे सम्बोधित

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी आगामी 8 जून को अंगोला रवाना हो रहे हैं, जहाँ वे ‘अफ्रीका के संवैधानिक न्यायालयों के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रतिभाग करेंगे। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में अंगोला के राष्ट्रपति महामहिम जाओ लारेन्को, सी.एम.एस. संस्थापक एवं विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गाँधी, साउथ अफ्रीका के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति मोगोंग मोगोंग, अफ्रीकन यूनियन की प्रतिनिधि एवं राजनीतिक मामलों की कमिश्नर मिनाटा समाटे आदि विभिन्न हस्तियों के सारगर्भित सम्बोधन होंगे। सी.एम.एस. के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी श्री हरि ओम शर्मा ने बताया कि अंगोलो के संवैधानिक न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डा. मैनुएल डाकोस्टा अरागो ने इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन प्रतिभाग हेतु डा. जगदीश गाँधी को विशेष रूप से आमन्त्रित किया है। सम्मेलन का आयोजन अंगोला की राजधानी लुआंडा में किया जा रहा है। सी.एम.एस. द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित किये जाने वाले अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन के प्रोजेक्ट लीडर श्री संदीप श्रीवास्तव भी डा. गाँधी के साथ अंगोला जायेंगे।

श्री शर्मा ने बताया कि अंगोला में आयोजित हो रहे इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में डा. जगदीश गाँधी को आमन्त्रित किया जाना लखनऊ व प्रदेश के लिए गौरव का विषय है जो अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर लखनऊ का नाम गौरवान्वित करेगा। डा. गाँधी के मार्गदर्शन में सिटी मोन्टेसरी स्कूल पिछले 19 वर्षों से लगातार विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन करता आ रहा है। इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अभी तक विश्व के 133 देशों के 1222 मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश एवं राष्ट्राध्यक्ष आदि प्रतिभाग कर चुके हैं तथावि विश्व की न्यायिक बिरादरी ने सी.एम.एस. की विश्व एकता, विश्व शान्ति व विश्व के ढाई अरब बच्चों के सुरक्षित भविष्य की मुहिम को भारी समर्थन दिया है। अंगोला में आयोजित हो रहे इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में डा. गाँधी विशेष तौर से ‘भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51’ एवं भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की संस्कृति पर अपने विचार रखेंगे। डा. गाँधी का मानना है कि जब तक विश्व समुदाय में एकता, समानता व शान्ति का वातावरण नहीं बनेगा, तब तक भावी पीढ़ी का भविष्य भी सुरक्षित नहीं है। विश्व के ढाई अरब बच्चे अपने लिए सुरक्षित भविष्य चाहते हैं जहाँ भावी पीढ़ी एकता, शान्ति, सहयोग व सौहार्द के वातावरण में फल-फूल सके।

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