प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में महाराष्ट्र से चार कैबिनेट एवं तीन राज्य मंत्रियों को जगह मिली है। लेकिन इन चेहरों को देखकर ऐसा कतई नहीं लगता छह माह के अंदर ही होने जा रहे विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कोई जातीय या क्षेत्रीय संतुलन साधने की कोशिश की गई हो। बल्कि इनमें से ज्यादातर चेहरे अपनी काबिलियत के कारण मंत्रिमंडल में फिर से अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे हैं।
महाराष्ट्र से मोदी मंत्रिमंडल में लिए गए चार कैबिनेट मंत्रियों में नितिन गडकरी, प्रकाश जावड़ेकर एवं पीयूष गोयल भाजपा कोटे से एवं डॉ.अरविंद सावंत शिवसेना कोटे से हैं। गडकरी, जावड़ेकर एवं पीयूष गोयल तीनों मोदी की पिछली सरकार में बेहतर प्रदर्शन के लिए जाने जाते रहे हैं। गडकरी ने जहां देश भर में सड़कों का जाल बिछाने एवं जल परिवहन के क्षेत्र में कई पहल कीं, वहीं उन्होंने सरकार के अंतिम वर्षों में प्रधानमंत्री के महत्त्वाकांक्षी गंगा स्वच्छता अभियान को भी गति देने का प्रयास किया।
माना जा रहा है कि गडकरी को पुनः यही जिम्मेदारी दी जाएगी और वह अपने अधूरे कामों को अंजाम तक पहुंचाकर 2024 से पहले देश में सड़कों का जाल बिछाने के साथ-साथ जल परिवहन एवं गंगा स्वच्छता मिशन में भी उल्लेखनीय कार्य कर दिखाएंगे। बता दें कि गडकरी के विभागों द्वारा किए जाने वाले कार्य न सिर्फ आम जनता को दिखाई देते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था को गति देने के कारक भी बनते हैं।
पीयूष गोयल पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। पिछली सरकार में उन्हें पहले राज्यमंत्री के रूप में बिजली, कोयला, खनिज मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई, जिसमें उन्होंने शानदार काम करके दिखाया। दीन दयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना की सफलता का श्रेय उन्हीं को जाता है। उनका यह प्रदर्शन देखकर ही उन्हें पहले खनिज मंत्रालय का राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया, और फिर कुछ समय बाद ही सुरेश प्रभु से रेलमंत्रालय वापस लेकर गोयल को कैबिनेट दर्जे के साथ रेलमंत्री बना दिया गया। यही नहीं, तत्कालीन वित्तमंत्री अरुण जेटली का स्वास्थ्य खराब होने के कारण उन्होंने कार्यवाहक वित्तमंत्री की भी जिम्मेदारी निभाई और सरकार का अंतरिम बजट जेटली के बजाय गोयल ने भी पेश किया।
उम्मीद की जा रही है कि इस बार भी उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में कुछ बड़ी जिम्मेदारियां दी जाएंगी। आश्चर्य है कि इस बार सुरेश प्रभु को मोदी कैबिनेट में जगह ही नहीं मिली है। इसी प्रकार प्रकाश जावड़ेकर ने भी पिछली मोदी सरकार में अपनी पारी कई विभागों के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में शुरू की थी। लेकिन बाद में उन्हें भी कैबिनेट दर्जे के साथ मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई। जावड़ेकर सरकार में अपनी जिम्मेदारियां निभाने के साथ-साथ कर्नाटक और राजस्थान में सांगठनिक जिम्मेदारियां भी निभाते रहे हैं, जहां उनका प्रदर्शन अच्छा रहा।
शिवसेना कोटे से मोदी कैबिनेट में इस बार स्थान पाने वाले डॉ. अरविंद सावंत पिछली सरकार में शिवसेना के सबसे मुखर सांसदों में रहे हैं। जहां मौका मिला, उन्होंने अपनी पार्टी का नजरिया भी खुलकर सामने रखने में कोई कोताही नहीं बरती। शायद यही कारण रहा कि इस बार शिवसेना के कई उनसे भी वरिष्ठ सांसदों के रहते, मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष मिलिंद देवड़ा को दोबारा पराजित करनेवाले इस कामगार नेता को उद्धव ठाकरे ने आगे बढ़ाना उचित समझा। महाराष्ट्र से राज्यमंत्री बनाए गए तीन में से दो रावसाहब दानवे पाटिल एवं संजय धोत्रे भाजपा से हैं, और दोनों ही मराठा समुदाय से आते हैं। इसी प्रकार एक राज्यमंत्री रामदास अठावले सूबे की सियासत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले बौद्ध दलित समुदाय से हैं। वह पिछली मोदी सरकार में भी राज्यमंत्री थे। इन तीनों नामों को कुछ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनावों की दृष्टि से संतुलन बैठाने की कोशिश कहा जा सकता है।