पीएम मोदी की पहली मुलाकात 2012 में चीन में हुई थी और उनको पीएम मोदी ने इस बार मंत्रिमंडल में दी जगह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नए मंत्रिमंडल ने गुरुवार शाम को राष्‍ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ ली. प्रधानमंत्री के अलावा 57 अन्‍य सदस्‍यों ने भी पद और गोपनीयता की शपथ ली. इनमें 24 कैबिनेट मंत्री, 9 स्‍वतंत्र प्रभार वाले राज्‍य मंत्री हैं और 24 राज्‍यमंत्री शामिल हैं. लेकिन इन सबमें एक नाम ऐसा है, जिनका कोई राजनीतिक इतिहास नहीं रहा. उनसे पीएम मोदी की पहली मुलाकात 2012 में चीन में हुई थी और उनको पीएम मोदी ने इस बार मंत्रिमंडल में जगह दी है. उन्‍हें कैबिनेट मंत्री बनाया है. यह व्‍यक्ति हैं सुब्रमण्‍यम जयशंकर. एस जयशंकर कई देशों में भारत के राजदूत रहे हैं. साथ ही उन्‍होंने विदेश सचिव की भी जिम्‍मेदारी निभाई है.

ऐसा रहा है एस जयशंकर का सफर

1. जयशंकर ने दिल्‍ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एमए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एमफिल और पीएचडी की उपाधि हासिल की है. जयशंकर की शादी क्योको जयशंकर से हुई है और उनके दो पुत्र और एक पुत्री हैं. जयशंकर को 2019 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया. 

2. अनुभवी राजनयिक जयशंकर चीन और अमेरिका के साथ बातचीत में भारत के प्रतिनिधि रहे हैं.

3. एस जयशंकर को पीएम मोदी का करीबी माना जाता है. पीएम मोदी 2012 में जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे, तब वह चीन दौरे पर गए थे. इसी दौरे पर उनकी मुलाकात एस जयशंकर से हुई थी. उस समय एस जयशंकर चीन में भारत के राजदूत के पद पर तैनात थे. गुजरात के तत्‍‍कालीन सीएम नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात महत्‍वपूर्ण रही. दोनों के बीच विश्‍वसनीयता बढ़ी.

4. देश के प्रमुख सामरिक विश्लेषकों में से एक दिवंगत के सुब्रमण्यम के पुत्र जयशंकर ऐतिहासिक भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के लिए बातचीत करने वाली भारतीय टीम के एक प्रमुख सदस्य थे. इस समझौते के लिए 2005 में शुरुआत हुई थी और 2007 में मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार ने इस पर हस्ताक्षर किए थे.

5. जनवरी 2015 में एस जयशंकर को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था और सुजाता सिंह को हटाने के सरकार के फैसले के समय को लेकर विभिन्न तबकों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई थी. 

6. जयशंकर अमेरिका और चीन में भारत के राजदूत के पदों पर भी काम कर चुके हैं. जयशंकर सिंगापुर में भारत के उच्चायुक्त और चेक गणराज्य में राजदूत पदों पर भी काम कर चुके हैं. वह 2001 से 2004 तक चेक गणराज्‍य, 2009 से 2013 तक चीन अऔर 2014 से 2015 तक अमेरिका में भारत के राजदूत के रूप में तैनात रहे हैं.

7. 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी जयशंकर ने लद्दाख के देपसांग और डोकलाम गतिरोध के बाद चीन के साथ संकट को हल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्‍हें चीन मामलों का एक्‍सपर्ट कहा जाता है.

8. 64 वर्षीय जयशंकर जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक विदेश सचिव थे. पिछले साल सेवानिवृत्त होने के तीन महीने के भीतर टाटा समूह ने उन्हें वैश्विक कॉर्पोरेट मामलों के लिए अपना अध्यक्ष नियुक्त किया था.

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