केजीएमयू में आहार नाल के कैंसर से पीडि़त एक बुजुर्ग मरीज को न सिर्फ नया जीवनदान दिया बल्कि एक कीर्तिमान भी हासिल किया

केजीएमयू में आहार नाल के कैंसर से पीडि़त एक बुजुर्ग मरीज को न सिर्फ नया जीवनदान दिया बल्कि एक कीर्तिमान भी हासिल किया। लैप्रोस्‍कोपी तकनीक से मरीज के आहार नाल के कैंसर को केवल एक सुराख के जरिये निकाला गया। केजीएमयू के अंको सर्जन का दावा है कि इस तकनीक से ऑपरेशन पूरे देश में पहली बार हुआ है।

सीने में सुराख के जरिये निकाला गया कैंसर 

65 वर्षीय सीतापुर निवासी बुजुर्ग को आहार नली  (इसोफेगस) का कैंसर था। उसका खाना-पीना दुश्वार हो गया था। केजीएमयू के डॉक्टरों ने दूरबीन विधि से ऑपरेशन का फैसला किया। 

यहां आंको सर्जरी के डॉ. शिवराजन को ओपीडी में दिखाया। सर्जरी प्लान कर दो सप्ताह पहले वार्ड में भर्ती किया गया। मंगलवार को डॉ. शिवराजन, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. विजय कुमार, डॉ. सत्यव्रत, डॉ. पुनीत, डॉ. अजहर, डॉ. शशांक, डॉ. दिनेश की टीम ने मरीज का ऑपरेशन किया। इस पर सिर्फ 30 हजार खर्च हुए। इसमें पेट में बिना गैस भरे सीने में सिर्फ एक सुराख से सर्जरी की। दावा है कि यह तकनीक देश में पहली बार अपनाई गई है।

आहारनली कैंसर का अभी तक ऐसे होता है ऑपरेशन: डॉ. शिवराजन के मुताबिक आहार नली के कैंसर का ऑपरेशन दो विधियों से होता है। ओपन सर्जरी में चीरा लगाकर व दूसरी दूरबीन विधि से की जाती है। ओपन सर्जरी में तीन स्टेप में ऑपरेशन होता है। एक पीठ के पीछे, दूसरा पेट के पास व तीसरा गले के पास ऑपरेशन होता है। वहीं, दूरबीन विधि से ऑपरेशन में अभी तक मरीज की पीठ के पीछे चार सुराख बनाए जाते थे। करीब पांच सेमी के चार सुराखों में दूरबीन का कैमरा, अंदर काट-छांट करने का उपकरण कॉट्री, अंगों को पकड़ने का उपकरण ग्रास्पर व फ्ल्यूड व रक्त निकालने के लिए सक्शन ट्यूब डाले जाते थे। इसके आलावा ऑपरेशन से पहले पेट के अंदर कार्बन डाई ऑक्साइड गैस भरी जाती थी। इससे पेट के अंदर चिपके अंगों में जगह बन जाती थी। मगर, इस बार यह नहीं किया गया।

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